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    Nano Urea: भारत में बनने वाली नैनो यूरिया की विदेशों में बढ़ी मांग, परंपरागत यूरिया से 10 फीसद सस्ती; जानें- खासियत

    Nano Urea घरेलू उत्पादन की 15 फीसद नैनो यूरिया के निर्यात का लक्ष्य है। लैटिन अमेरिका अफ्रीका एशियाई व खाड़ी देशों में बोतल वाली यूरिया की मांग है। केंद्रीय फर्टिलाइजर मंत्रालय ने नैनो यूरिया के निर्यात का रणनीतिक फैसला किया है।

    By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 08:31 PM (IST)
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    नैनो यूरिया की वैश्विक बाजार में बनने लगी पैठ, घरेलू कंपनियां सक्रिय (फाइल फोटो)

    सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। नैनो यूरिया (लिक्विड) के बल पर भारत आत्मनिर्भर होने के साथ विश्व बाजार में अपनी पैठ बनाने में जुट गया है। नैनो यूरिया के उत्पादन का पंद्रह फीसद हिस्सा निर्यात करने का लक्ष्य है, जिससे अपनी घरेलू जरूरतों के पूरा होने के साथ नैनो की विश्व बाजार में पहुंच बनेगी। लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशियाई और खाड़ी देशों में बोतल वाली नैनो यूरिया निर्यात की काफी संभावना है। हाल के महीनों में ब्राजील, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका, नेपाल व बांग्लादेश के साथ नैनो यूरिया को लेकर समझौते किए गए हैं।

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    देश में फिलहाल 34 यूरिया कारखाना स्थापित

    देश में फिलहाल 34 यूरिया कारखाना स्थापित किए गए हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 260 लाख टन है। अगले तीन-चार सालों में नैनो (लिक्विड) यूरिया समेत परंपरागत यूरिया कारखानों की उत्पादन क्षमता घरेलू जरूरतों के मुकाबले कहीं अधिक पहुंच जाएगी। घरेलू खपत के मुकाबले अधिक उत्पादन के मद्देनजर केंद्रीय फर्टिलाइजर मंत्रालय ने नैनो यूरिया के निर्यात का रणनीतिक फैसला किया है। इसके मुताबिक नैनों यूरिया के कुल उत्पादन का 15 फीसद हिस्सा निर्यात किया जाएगा।

    यहां हो रहा नैनो यूरिया का उत्पादन

    नैनो यूरिया की ईजाद करने वाली सहकारी क्षेत्र की कंपनी ईफको फिलहाल अपने दो प्रमुख कारखानों में इसका उत्पादन कर रही है। कंपनी के गुजरात स्थित कलोल में पांच करोड़ बोतल (500 मिली) और उत्तर प्रदेश के फूलपुर कारखाने में छह करोड़ बोतल नैनो यूरिया का वार्षिक उत्पादन हो रहा है। जबकि अप्रैल 2023 में ईफको की आंवला इकाई में उत्पादन चालू हो जाएगा, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता छह करोड़ बोतल होनी है। इसी तरह ईफको के अन्य तीन कारखाने बंगलुरु, देवघर (झारखंड) और असम में नैनो यूरिया का उत्पादन वर्ष 2025 तक चालू हो जाएगा। जबकि पंजाब के नांगल में नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) और राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर (आरसीएफ) की ट्रांबे (महाराष्ट्र) में लग रहे कारखाने भी इसी अवधि में चालू हो जाएंगे, जहां नैनो यूरिया का उत्पादन शुरु हो जाए। इससे कुल 44 करोड़ बोलत नैनो यूरिया (लिक्विड) का उत्पादन होने लगेगा, जो 200 लाख टन परंपरागत यूरिया के बराबर होगा।

    ब्राजील, अर्जेंटीना सहित कई देशों में नैनो यूरिया की मांग

    वैश्विक स्तर पर फर्टिलाइजर की किल्लत को देखते हुए नैनो यूरिया को आसानी से निर्यात बाजार उपलब्ध होने की संभावना है। इसी का लाभ उठाते हुए नैनो यूरिया की पहुंच दुनिया के दूसरे देशों में होने लगी है। लैटिन अमेरिकी देशों में ब्राजील, अर्जेंटीना, चिले समेत कई देशों में इसकी मांग है। जबकि अफ्रीकी देशों के साथ समूचे एशियाई देशों में नैनो यूरिया लोकप्रिय हो रही है। ईफको ने हाल ही में ब्राजील और मलेशिया के साथ नैनो यूरिया निर्यात का समझौता किया है।

    पड़ोसी देशों में पहुंचने लगी भारत की नैनो यूरिया 

    सालभर पहले ही नैनो यूरिया का कामर्शियल उत्पादन शुरु हुआ, जिसे किसानों ने हाथोंहाथ लिया है। पड़ोसी देश श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और थाईलैंड को नैनो यूरिया निर्यात की खेप पहुंची है। यहां से आगामी रबी सीजन के लिए यूरिया का समझौता भी हो चुका है।

    जानें- नैनो यूरिया की कीमत व इसकी खासियत

    नैनो यूरिया का मूल्य जहां परंपरागत यूरिया से 10 फीसद सस्ती है, वहीं फसलों की उत्पादकता आठ फीसद अधिक रिकार्ड किया गया है। किसानों के लिए लांच करने से पहले ईफको ने इसका परीक्षण देश के विभिन्न हिस्सों में 94 फसलों पर परीक्षण किया है। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह मिट्टी की सेहत और अनाज की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम साबित हुई है।

    नैनो यूरिया क्या है? 

    नैनो यूरिया ठोस यूरिया का ही तरल (liquid) रूप है। इसके 500 मिलीलीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता है। यह तरल यूरिया किसानों के लिए काफी सुविधाजनक और किफायती है।