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    1st Train in India: अंग्रेजों ने नहीं, 'नाना' ने चलवाई थी भारत में पहली ट्रेन; यही थे मुंबई के आधुनिक निर्माता

    By Babli KumariEdited By: Babli Kumari
    Updated: Mon, 05 Jun 2023 04:11 PM (IST)

    Indian Railways ब्रिटेन और अमेरिका में जब ट्रेन की शुरुआत हुई तब नाना को यह लगा कि मुंबई में भी ट्रेन चलाई जानी चाहिए। अपनी जी तोड़ कोशिश से नाना ने मुंबई में ट्रेन चलाने का सपना साकार कर लिया। आइए जानते हैं कौन हैं नाना जगन्नाथ शंकर सेठ।

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    'नाना' ने चलवाई थी भारत में पहली ट्रेन (जागरण ग्राफिक्स)

    नई दिल्ली, जागरण डेस्क। नई ट्रेनों और सेवाओं के मामले में भारतीय रेलवे ने जोरदार प्रगति की है। दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क्स में इसे शुमार किया जाता है। यह देश की सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली परिवहन प्रणाली है। हम जब भी भारत में रेलवे की बात करते हैं तो इसका क्रेडिट ब्रिटिशर्स को देते हैं, लेकिन दिलचस्प तथ्य है कि भारत में रेल की शुरुआत अंग्रेजों की वजह से नहीं बल्कि नाना नाम के एक भारतीय व्यापारी की कोशिश से हुई थी।

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    नाना जगन्नाथ शंकर सेठ वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने अंग्रेजों से पहले प्रयास किया कि वह भारत में सबसे पहले रेल की शुरुआत करें और उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प से यह करके दिखाया भी। तो आज हम ऐसा कह सकते हैं कि नाना जगन्नाथ शंकर सेठ के योगदान से भारत में रेल संचालन का सपना पूरा हो सका था।

    नाना ने देखा भारत में रेल का सपना

    नाना जगन्नाथ शंकर सेठ वह व्यक्ति थे जिन्होंने भारत में रेल संचालन का सपना देखा। जब 15 सितंबर 1830 को लिवरपूल और मैनचेस्टर के बीच पहली इंटरसिटी ट्रेन चली तो इसके चलने की खबर दुनिया भर में फैल गई। मुंबई के रहने वाले नाना जगन्नाथ शंकर सेठ ने जब यह खबर सुनी तो उन्होंने सोचा कि अगर ये रेल वहां चल सकती है तो उनके गाँव और उनके देश में क्यों नहीं? इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि अब यह रेल उनके देश में भी चलेगी जिससे उनके देशवासियों का जीवन आसान हो सकेगा।

    कौन थे नाना शंकर सेठ?

    नाना शंकर सेठ का वास्तविक नाम जगन्नाथ शंकर मुरकुटे था। उनका जन्म 1803 में और मृत्यु 1865 में मुंबई में हुई थी। जगन्नाथ शंकरसेठ एक उद्योगपति और शिक्षाविद् थे। उन्हें आधुनिक मुंबई के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। लोग आदरपूर्वक उन्हें नाना कहते थे। पिछले कई पीढ़ी से उनके पास काफी संपत्ति थी। उनके पिता भी अंग्रेजों को कर्ज देने वाले बड़े साहूकारों में से एक थे। पिता के निधन के बाद नाना ने अपने कारोबार को खूब फैलाया। वह भारत की पहली रेलवे कंपनी के पहले निदेशकों में से एक थे। वह इंडियन रेलवे एसोसिएशन के सदस्य थे। इस संगठन के कारण ही अंग्रेजों ने मुंबई में रेलवे की शुरुआत की।

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    मुंबई में सबसे पहले ट्रेन चलाने का था सपना

    नाना शंकर सेठ ने मुंबई में ट्रेन चलाने के बारे में सोचा। यह साल 1843 का वक्त था जब वह अपने पिता के दोस्त जमशेदजी जीजीभोय उर्फ जेजे के पास गए। अपने पिता के निधन के बाद नाना जेजे को अपने पिता की तरह ही मानते थे। उन्होंने जेजे को अपने भारतीय रेलवे के आईडिया के बारे में बताया। नाना भारत में जिस ट्रेन का सपना देख रहे थे वह उन्होंने जेजे को सुनाया और सुप्रीम कोर्ट के जज थॉमस और ब्रिटिश अधिकारी स्किन पैरी उनके इस आईडिया से काफी खुश हुए थे। सब लोगों को नाना का आईडिया शानदार लगा। उसके बाद इन तीनों ने मिलकर इंडियन रेलवे एसोसिएशन की स्थापना की।

    नाना ने इस आईडिया को एक रूपरेखा देकर ईस्ट इंडिया कंपनी को यह विचार दिखाया। नाना जैसे प्रभावी लोगों द्वारा रखे गए इस प्रस्ताव पर ईस्ट इंडिया कंपनी को भी सोचना पड़ा। 13 जुलाई 1844 को इस नाना के एसोसिएशन ने सरकार को रेलवे से संबंधित एक प्रस्ताव सौंपा। मुंबई में कितनी दूर तक रेलवे लाइन बिछाई जानी है, इस बारे में एक प्राथमिक रिपोर्ट तैयार कर जमा की गई जिसे मंजूरी मिल गई।

    इस तरह 1853 में सच हुआ नाना का सपना

    नाना ने भारतीय रेलवे की शुरुआत के लिए गठित की गई मुंबई कमेटी में मुंबई के बड़े बिजनेसमैन, ब्रिटिश अधिकारी और बैंकर आदि को शामिल कर ग्रेट इंडियन रेलवेज नाम की कंपनी बनाई। नाना की इस कोशिश के बाद 16 अप्रैल 1853 को मुंबई के बोरीबंदर स्टेशन से थाने के लिए एक ट्रेन चली। 18 डब्बे और 3 लोकोमोटिव इंजन के साथ चली भारतीय रेलवे की इस ट्रेन को फूलों से सजाया गया था, जिसमें नाना शंकर सेठ और जमशेदजी जीजीभोय जैसे दिग्गज भी यात्री की तरह सवार हुए थे।

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