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    काल बनकर दुश्मनों पर बरसेगा 'नागास्त्र', कितना खतरनाक है Nagastra-1R ड्रोन, भारतीय सेना ने जिसके लिए दिया ऑर्डर

    Updated: Mon, 23 Jun 2025 09:53 PM (IST)

    भारतीय सेना ने 450 नागस्त्र-1आर खरीदने के लिए सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) को आर्डर दिया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित यह ड्रोन दुश्मन को खोजकर मारने में सक्षम है। मेक इन इंडिया परियोजना के तहत इसे तैयार किया गया है। इससे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक बढ़त को मजबूती मिलेगी।

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    सेना ने 450 नागस्त्र-1आर खरीदने के लिए सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) को आर्डर दिया है। (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

    जेएनएन, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर में अपनी उपयोगिता साबित कर चुका नागास्त्र अब भारतीय सेना की मारक क्षमता को और बढ़ाएगा। सेना ने 450 नागस्त्र-1आर खरीदने के लिए सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) को आर्डर दिया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित यह ड्रोन दुश्मन को खोजकर मारने में सक्षम है। मेक इन इंडिया परियोजना के तहत इसे तैयार किया गया है। इससे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक बढ़त को मजबूती मिलेगी।

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    नागास्त्र एक सुसाइड ड्रोन है। इसके काम करने का तरीका दूसरे ड्रोन से काफी अलग होता है। यह 'कामिकेज' मोड पर काम करता है, यानी दुश्मन पर सीधे हमला करने के बाद खुद को भी नष्ट कर लेता है। नागास्त्र में जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है, जिसके जरिये यह अपने लक्ष्य को ढूंढता और उसे नष्ट करता है।

    जीपीएस सिस्टम की मदद सटीक निशाना लगा सकता है ड्रोन

    यह ड्रोन हवा में मंडराता रहता है और जीपीएस सिस्टम की मदद से एकदम सटीक निशाना लगाता है। नागास्त्र एक किफायती प्रणाली है, जिसमें लांचर सिस्टम का फिर से उपयोग किया जा सकता है। इन प्रणालियों का परीक्षण लद्दाख और झांसी के पास बबीना सहित विभिन्न स्थानों पर किया गया है।

    नागास्त्र ड्रोन की विशेषताएं

    इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह सैनिकों की जान खतरे में डाले बिना आसानी से दुश्मन के ट्रेनिंग कैंप या लांच पैड पर हमला कर सकता है।

    यह ड्रोन 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर उड़ सकता है, जिससे रडार द्वारा इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
    इस लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम में 360 गिम्बल कैमरा है, जिसमें रात के आपरेशन के लिए थर्मल कैमरा लगाने का विकल्प भी है।
    इसमें निरस्त करने और पुन: उपयोग करने की सुविधा है।
    यदि लक्ष्य का पता नहीं चलता है या मिशन निरस्त हो जाता है, तो इसे वापस बुलाया जा सकता है और पैराशूट का उपयोग करके इसे सुरक्षित रूप से उतारा जा सकता है।
    नागास्त्र का वजन करीब नौ किलोग्राम है। इसे खासकर थल सेना की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। --इसमें खास इलेक्टि्रक प्रोपल्शन सिस्टम लगा है, जिससे इसकी आवाज का पता नहीं चलता। 200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर इसकी आवाज का पता लगाना लगभग असंभव है।
    यह अपने लक्ष्य के ऊपर 60 मिनट तक मंडरा सकता है। यह ड्रोन एक किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है।