महाकालपुरी में महाअष्टमी का उत्साह, महामाया को चढ़ाई मदिरा, खुशहाली का वर मांगा
चौबीस खंबा माता मंदिर पूर्व में राजाधिराज महाकाल मंदिर का प्रवेश द्वारा था। बताया जाता है कि करीब 6 हजार वर्ष पहले इस द्वार का निर्माण हुआ था।
उज्जैन। महाकालपुरी में शनिवार को महाष्टमी पर्व का उल्लास छाया रहा। चौबीस खंबा माता मंदिर से ढोल-नगाड़ों की ध्वनि के बीच नगर पूजा शुरू हुई। निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रवींद्रपुरी जी द्वारा परंपरानुसार मंदिर में विराजित मां महामाया और महालया को मदिरा अर्पित की गई। इसके बाद अखाड़े के साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने तांबे की हांडी में मदिरा भरकर आगे की पूजन प्रक्रिया शुरू की। 27 किमी लंबे नगर मार्ग पर सतत मदिरा की धार चढ़ाई गई। रास्ते में 40 से अधिक देवी और भैरव मंदिरों में भी पूजा की गई। यहां देवताओं को पूरी-भजिए और नमकीन भी अर्पित किए गए। सुबह 8 बजे शुरू हुई यह नगर पूजा 12 घंटे तक चली। अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर में रात आठ बजे इसका समापन हुआ।
कभी महाकाल मंदिर का द्वार था ये मंदिर
मान्यता है कि चौबीस खंबा माता मंदिर पूर्व में राजाधिराज महाकाल मंदिर का प्रवेश द्वारा था। बताया जाता है कि करीब 6 हजार वर्ष पहले इस द्वार का निर्माण हुआ था। यहां दो उग्र देवियां (महालया और महामाया) स्थापित हैं। यह दोनों देवियां क्षेत्र की सुरक्षा करती हैं। उग्र देवियां होने के कारण इन्हें मदिरा भी अर्पित की जाती है। पूर्व में इस मंदिर में बलि भी दी जाती थी। नगर पूजा के संबंध में मान्यता है कि इसे सम्राट विक्रमादित्य ने इसे शुरू करवाया था। शारदीय नवरात्रि में नगर पूजा शासन द्वारा की जाती है। वहीं चैत्र नवरात्रि में निरंजनी अखाड़े के साधु संत यह परंपरा निभा रहे हैं। बताया जाता है कि नगर पूजा और मदिरा अर्पित करने से देवी प्रसन्न होती हैं और खुशहाली और सुरक्षा का वरदान देती हैं।
अद्भुत परंपराओं की नगरी उज्जयिनी
महाकाल की नगरी उज्जयिनी के मंदिरों में ऐसी कई अद्भुत परंपराएं हैं। तड़के भस्मारती के दौरान स्वयं महाकाल भस्मी रमाते हैं। नवरात्रि के दौरान नगर पूजा में देवी को मदिरा चढ़ाई जाती है। यहां महाकाल के सेनापति कालभैरव को रोज मदिरा अर्पित की जाती है। कालभैरव मंदिर के सामने स्थित विक्रांत भैरव का मंदिर श्मशान में स्थित है। इसी श्मशान में हर साल भक्तों द्वारा भंडारा आयोजित किया जाता है।
आचार संहिता के कारण नहीं मिला ''प्रसाद"
नगर पूजा के दौरान भक्तों को मदिरा का प्रसाद देने की भी परंपरा रही है। मगर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस बार प्रसाद की वितरण नहीं हुआ।
नगर पूजा में यह खास
- 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिरों में पूजा।
- 25 बोतल शराब का उपयोग।
- 12 घंटे का समय लगेगा पूजन में
- 04 ढोल बजेंगे पूजा अर्चना के समय।
- 10 हजार रुपए से अधिक राशि खर्च होगी पूजा में, पूजन में इन सामग्री का उपयोग
- नगर पूजा में अबीर, गुलाल, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, चांदी के वर्क, चुनरी, पूजा की सुपारी, सोलह श्रंगार की सामग्री, नीबू, सूखा सिंघाड़ा, पूजा के लाल, सफेद वस्त्र, लच्छा (नाड़ा), कपूर, दूध,दही, पान, मिट्टी की हांडी, पीतल का लोटा, हार-फूल, इत्र की शीशी, झंडे, तोरण, वस्त्र, सात प्रकार का धान।