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    शरिया कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम महिला, उत्तराधिकार कानून लागू करने की मांग; SC ने केंद्र से मांगा जवाब

    SC on Sharia law मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर खुद पर शरीयत के बजाय भारतीय उत्तराधिकार कानून लागू करने की मांग की है। अब शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार से अपना पक्ष पूछा है। पीठ ने कहा कि यह आस्था के खिलाफ होगा। इसपर कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।

    By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 28 Jan 2025 06:14 PM (IST)
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    SC on Sharia law शरिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। SC on Sharia law शरिया कानून के खिलाफ एक मुस्लिम महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महिला ने याचिका में खुद पर शरीयत के बजाय भारतीय उत्तराधिकार कानून लागू करने की मांग की है। अब शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार से अपना पक्ष पूछा है।

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    चीफ जस्टिस के पास पहुंचा केस

    अलपुझा की रहने वाली और "एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल" की महासचिव साफिया पी एम की याचिका मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आई। जिसपर केंद्र को नोटिस जारी किया गया है।

    केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिका ने एक दिलचस्प सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, "याचिकाकर्ता महिला जन्मजात मुस्लिम है। उसका कहना है कि वह शरीयत में विश्वास नहीं करती और उसे लगता है कि यह एक पिछड़ा कानून है।"

    SC ने केंद्र से मांगा जवाब

    पीठ ने कहा कि यह आस्था के खिलाफ होगा। इसपर कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा। मेहता ने निर्देश लेने और जवाबी हलफनामा दर्ज करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। पीठ ने चार सप्ताह का समय देते हुए सुनवाई 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में करने की बात कही। 

    महिला ने रखी ये मांग

    • पिछले साल 29 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर केंद्र और केरल सरकार से जवाब मांगा था।
    • याचिकाकर्ता ने कहा कि हालांकि उसने आधिकारिक तौर पर इस्लाम नहीं छोड़ा है, लेकिन वह नास्तिक है और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म के अपने मौलिक अधिकार को लागू करना चाहती है, जिसमें "विश्वास न करने का अधिकार" भी शामिल होना चाहिए।
    • महिला ने यह भी घोषणा करने की मांग की कि जो लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ को मानना नहीं चाहते, उन्हें "देश के धर्मनिरपेक्ष कानून" - भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 - द्वारा शासित होने की अनुमति दी जानी चाहिए।
    • अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन के माध्यम से दायर सफिया की याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाएं शरीयत कानूनों के तहत संपत्ति में एक तिहाई हिस्सा पाने की हकदार हैं। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित नहीं है, यह घोषणा अदालत से आनी चाहिए, नहीं तो उसके पिता संपत्ति का एक तिहाई से अधिक हिस्सा नहीं दे पाएंगे।