GBS Virus Outbreak: मुंबई में गुलियन बैरे सिंड्रोम से पहली मौत, महाराष्ट्र में अब तक 8 लोगों की गई जान
मुंबई में गिलियन-बैरे सिंड्रोम के कारण पहली मौत दर्ज की गई है। ये मामला वी.एन. देसाई अस्पताल का है जहां एक वार्ड बॉय की इस बीमारी के कारण मौत हो गई। राज्य में जीबीएस के कारण होने वाली संदिग्ध मौतों की कुल संख्या आठ हो गई है जिसमें पुणे जिले में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। (BMC) के आयुक्त ने भी इस मामले की पुष्टि की है।
पीटीआई, मुंबई। मुंबई में गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस वायरस) के कारण पहली मौत हुई है। अधिकारियों ने बताया कि संक्रमित शख्स की मौत बुधवार को हुई है। जीबीएस वायरस से महाराष्ट्र में कम से कम 197 लोग संक्रमित हैं और अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है।
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के आयुक्त ने भी पुष्टि की कि लंबी बीमारी के बाद नायर अस्पताल में 53 वर्षीय एक मरीज की मौत हुई है। अधिकारियों ने बताया कि मृतक वडाला इलाके का निवासी है और एक अस्पताल में वार्ड बॉय के तौर पर काम करता था। वह 15 दिन पहले पुणे गया था,जहां जीबीएस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
अस्पताल में कब कराया गया भर्ती?
पीड़ित शख्स को 23 जनवरी को मुबंई में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज के पैरों में दर्द की शिकायत थी। वह कई दिनों तक गंभीर हालत में रहे।
बीएमसी की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया है कि पीड़ित मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके बाद उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था और मंगलवार को उनकी मौत हो गई। बीएमसी ने कहा कि मरीज में बुखार और दस्त जैसे लक्षण नहीं दिखे थे।
Mumbai | A 53-year-old patient infected with Guillain-Barré Syndrome has died in Nair Hospital, confirms Commissioner of Brihanmumbai Municipal Corporation.
— ANI (@ANI) February 12, 2025
महाराष्ट्र में गुलियन बैरे सिंड्रोम के कितने मामले?
बीएमसी की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि पुणे रीजन में मंगलवार तक 197 संदिग्ध संक्रमितों की पहचान की जा सकी है। इसके अलावा नगर निकाय ने यह भी बताया कि पुणे रीजन में जीबीएस से 7 लोगों की मौत हो चुकी है।
बयान के मुताबिक, मुंबई के सभी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज जीबीएस मरीजों के इलाज के लिए तैयार हैं। शहर में आवश्यक दवाईयां, उपकरण और एक्सपर्ट उपलब्ध हैं।
क्या गुलियन बैरे सिंड्रोम?
जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम खुद के ही तंत्रिका तंतुओं पर हमला करना शुरू कर देता है। इस वजह से मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता आ जाती है। कभी-कभी पैरों या हाथों में लकवा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई मामलों में देखा गया है कि खाना निगलने और सांस लेने भी परेशानी आती है। ये कोई नई बीमारी नहीं है। इसके इलाज के लिए आमतौर पर इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन या प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे तरीके का इस्तेमाल किया जाता है।
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