रेस्तरां में Veg की जगह परोसे गए Non Veg मोमोज, मुआवजा मांगने ग्राहक पहुंचा उपभोक्ता फोरम; आयोग ने कंज्यूमर को दे दी ये सलाह
मुंबई उपभोक्ता आयोग ने एक मामले में कहा कि शुद्ध शाकाहारी व्यक्ति को मांसाहारी रेस्तरां से ऑर्डर नहीं करना चाहिए। आयोग ने एक शिकायत खारिज की जिसमें ग्राहकों ने चिकन मोमोज परोसने का आरोप लगाया था। आयोग के अनुसार समझदार व्यक्ति भोजन से पहले शाकाहारी और मांसाहारी में अंतर कर सकता है।

पीटीआई, मुंबई। मुंबई उपनगरीय (अतिरिक्त) जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अगर मांसाहारी भोजन किसी ''शुद्ध शाकाहारी'' व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है तो उसे शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन परोसने वाले रेस्तरां से आर्डर क्यों करना चाहिए।
आयोग ने एक रेस्तरां के विरूद्ध उन दो उपभोक्ताओं की शिकायत को खारिज कर दिया जिनका आरोप था कि विशेष आग्रह के बावजूद उन्हें चिकन मोमोस परोस दिए गए थे।
आयोग ने कहा, 'यह उचित लगता है कि एक विवेकशील व्यक्ति खाने से पहले शाकाहारी और मांसाहारी भोजन के बीच अंतर करने में सक्षम होगा।'
आयोग ने क्या कहा?
दो व्यक्तियों द्वारा रेस्तरां के खिलाफ कथित तौर पर गलत तरीके से मांसाहारी भोजन परोसने की शिकायत को खारिज करते हुए आयोग ने कहा, ''यदि शिकायतकर्ता पूरी तरह से शाकाहारी थे और मांसाहारी भोजन उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है तो उन्होंने उस रेस्तरां से खाद्य पदार्थ क्यों मंगवाए जो मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह का भोजन दे रहा था, बजाय इसके कि वे उस रेस्तरां से भोजन मंगवाते जो केवल शाकाहारी भोजन ही परोसता हो।''
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, उन्होंने 19 दिसंबर, 2020 को मुंबई के सायन में 'वाउ मोमोज' आउटलेट से साफ्ट ड्रिंक के साथ स्टीम्ड 'दार्जि¨लग मोमो काम्बो' आर्डर किया था। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने दो बार अपनी शाकाहारी पसंद पर विशेष रूप से जोर दिया था। मगर, उन्हें स्टीम्ड ''चिकन दार्जि¨लग मोमोज'' मिले।
उन्होंने आरोप लगाया कि 'रेस्तरां के कर्मचारियों ने उनके आग्रह की अनदेखी की। रेस्तरां के आफर डिस्प्ले बोर्ड पर स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया था कि काम्बो में शाकाहारी या मांसाहारी विकल्प हैं या नहीं।' उन्होंने यह भी दावा किया कि रेस्तरां की लापरवाही के कारण उन्हें मानसिक एवं भावनात्मक आघात लगा है और उनकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची है। उन्होंने इसके लिए छह लाख रुपये का मुआवजा मांगा।
दूसरी ओर, रेस्तरां ने कहा कि दोनों व्यक्तियों ने खुद ही मांसाहारी भोजन आर्डर किए थे, जैसा कि इनवाइस में दर्शाया गया है। रेस्तरां ने आरोप लगाया कि दोनों ने हमारे कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार किया और उपद्रव मचाया, जिसके कारण हमें आर्डर वापस करना पड़ा और फ्री में भोजन उपलब्ध कराना पड़ा। रेस्तरां ने दलील दी कि रिफंड के कारण शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ''उपभोक्ता'' नहीं थे
उनके कथित दुर्व्यवहार के बावजूद सद्भावना के तौर पर 1,200 रुपये का गिफ्ट वाउचर दिया गया, लेकिन दोनों ने तीन-तीन लाख रुपये की मांग की। रेस्तरां ने दावा किया कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण इरादे से परेशान करने के लिए दर्ज की गई थी। आयोग ने कहा कि इनवाइस से पता चलता है कि शिकायतकर्ताओं ने नान-वेज मोमोज का आर्डर दिया था।
ऑफर बोर्ड में स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया था कि स्टीम्ड दार्जिलिंग मोमो काम्बो शाकाहारी है या मांसाहारी, लेकिन बोर्ड में सबसे नीचे ''शाकाहारी/मांसाहारी'' लिखा था, जिसका अर्थ था कि दोनों विकल्प उपलब्ध थे। आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता इस बारे में भी सबूत या विस्तृत जानकारी देने में विफल रहे कि क्या उनका कोई धार्मिक समारोह प्रभावित हुआ जैसा कि उन्होंने दावा किया था। शिकायतकर्ता रेस्तरां की ओर से प्रदान की जाने वाली सेवा में किसी भी तरह की कमी साबित नहीं कर पाए हैं।

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