मुंबई वायु प्रदूषण: हाई कोर्ट ने इथियोपिया ज्वालामुखी राख के दावे को किया खारिज
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई की खराब वायु गुणवत्ता के लिए इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख को जिम्मेदार ठहराने वाले दावों पर संदेह जताया है। अदालत ने कहा कि ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। अदालत ने सरकार को नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया।

बंबई उच्च न्यायालय। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि अधिकारियों को मुंबई में वायु प्रदूषण के लिए एथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न राख के बादलों को दोष नहीं देना चाहिए और कहा कि यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) इससे पहले से ही खराब था। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायाधीश गौतम अंकड़ की पीठ ने शहर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर कई याचिकाओं की सुनवाई करने का आग्रह किया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा और जनक द्वारकादास ने कहा कि इस महीने मुंबई का एक्यूआइ लगातार खराब रहा है और 300 से ऊपर है। अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने कहा कि एथियोपिया में दो दिन पहले हुए ज्वालामुखी विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण बढ़ गया है। हालांकि, न्यायालय ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण ज्वालामुखी के विस्फोट से पहले से ही खराब था।
न्यायालय ने कहा, ''इस विस्फोट से पहले भी यदि कोई बाहर निकलता था तो 500 मीटर से अधिक की दृश्यता खराब थी।'' पीठ ने दिल्ली की स्थिति का उल्लेख करते हुए जहां एक्यूआइ के स्तर चिंताजनक हैं, पूछा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए क्या प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं।
पीठ ने प्रश्न किया,''सबसे प्रभावी उपाय क्या हो सकते हैं? हम सभी देख रहे हैं कि दिल्ली में क्या हो रहा है? इसका प्रभाव क्या है।'' न्यायालय ने मामले की सुनवाई शुक्रवार के लिए निर्धारित की।
एथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित एक विशाल ज्वालामुखी हजारों साल बाद रविवार को फटा, जिससे एक बड़ा राख का बादल बना जो लगभग 14 किलोमीटर (45,000 फीट) की ऊंचाई तक गया। यह बादल लाल सागर के पूर्वी हिस्से में, अरब प्रायद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप की ओर फैल गया।
मुंबई को एयर पॉल्यूशन से बचाने के लिए BMC का प्लान
मुंबई में आज एक और स्मॉगी सुबह हुई, और एयर क्वालिटी अभी भी खराब कैटेगरी में है। इस चुनौती से निपटने के लिए, शहर की सिविक बॉडी, बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) ने शहर भर में कंस्ट्रक्शन साइट्स पर सेंसर-बेस्ड एयर-पॉल्यूशन मॉनिटर लगाने की प्रोग्रेस का अंदाजा लगाने के लिए एक रिव्यू मीटिंग की। BMC अधिकारियों के मुताबिक, अब तक कुल 662 पॉल्यूशन-सेंसर यूनिट लगाए जा चुके हैं, और 251 और लगाने का काम अभी चल रहा है।
लगाई गई यूनिट में से, 400 डिवाइस CEEW के बनाए सेंट्रल डैशबोर्ड से इंटीग्रेट किए गए हैं। इनमें से 283 सेंसर एक्टिव हैं, जबकि 117 इनएक्टिव हैं; इनएक्टिविटी की वजह साइट्स पर बिजली या वाई-फाई की कमी, फैब्रिकेशन के काम में देरी, या प्रोजेक्ट प्रपोज़ करने वालों से जरूरी टेक्निकल डेटा न मिलना जैसी चुनौतियां थीं।
सिविक बॉडी ने इनएक्टिव पॉल्यूशन इंडिकेटर वाली सभी कंस्ट्रक्शन साइट्स की एक लिस्ट बनाने और उसे एनवायरनमेंट एंड क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट के साथ शेयर करने का फैसला किया है। डिपार्टमेंट को निर्देश दिया गया है कि वे फिजिकल साइट इंस्पेक्शन करें, वेंडर के सबमिशन को वेरिफाई करें, और जहां भी नॉन-कम्प्लायंस पाया जाए, बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑर्डर के हिसाब से कम्प्लायंस नोटिस जारी करें।
BMC ने कंस्ट्रक्शन कंपनियों को यह भी चेतावनी दी है कि अगर कोई साइट पॉल्यूशन-मॉनिटरिंग नॉर्म्स का उल्लंघन करती पाई गई तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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