मुल्लापेरियार बांध पर तमिलनाडु और केरल में फिर ठनी, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
पेरियार नदी पर बने इस बांध का निर्माण कार्य 1895 में पूरा हुआ था। इडुक्की जिले (केरल) में स्थित 1200 फीट लंबे बांध पर तमिलनाडु का स्वामित्व है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सवा सौ साल पुराने मुल्लापेरियार बांध को लेकर दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु और केरल के बीच फिर से ठन गई है। तमिलनाडु ने पड़ोसी राज्य पर बांध का रखरखाव करने की मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने केरल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी।
सर्वोच्च्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने तमिलनाडु के आरोपों पर नोटिस जारी किया है। तमिलनाडु ने अपनी अर्जी में शीर्ष अदालत के फैसले को लागू कराने को लेकर दिशा-निर्देश देने की मांग की है। इसके अनुसार, शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में तमिलनाडु को बांध के रखरखाव का अधिकार दिया है, जबकि केरल को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। इसके बावजूद मरम्मत कार्य की अनुमति नहीं दी जा रही है।
इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने बांध की सुरक्षा के लिए सीआइएसएफ को तैनात करने की गुहार लगाई थी, जिस पर शीर्ष अदालत ने फटकार लगाई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 7 मई, 2014 के फैसले में मुल्लापेरियार बांध को सुरक्षित करार दिया था। साथ ही तमिलनाडु सरकार को बांध को मजबूत करने का कार्य खत्म होने के बाद पानी का जलस्तर 142 से 152 फीट तक बढ़ाने की अनुमति दी थी। केरल ने इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। पेरियार नदी पर बने इस बांध का निर्माण कार्य 1895 में पूरा हुआ था। इडुक्की जिले (केरल) में स्थित 1200 फीट लंबे बांध पर तमिलनाडु का स्वामित्व है।
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