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    Muharram 2021 Holiday: कल मनाया जाएगा मोहर्रम,सरकार ने छुट्टी में किया बदलाव

    By Pooja SinghEdited By:
    Updated: Thu, 19 Aug 2021 10:17 AM (IST)

    Muharram Holiday अंग्रेजी कैलेंडर को देखें तो इस साल मोहर्रम का इस्‍लामिक महीना 11 अगस्त से शुरू हुआ है। मुहर्रम का दसवां दिन आशूरा होता है और इस दिन मुहर्रम मनाया जाता है। इस साल 20 अगस्त को आशूरा होने के चलते मुहर्रम 20 अगस्त यानी शुक्रवार को मनाया जाएगा।

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    Muharram 2021 Holiday: कल मनाया जाएगा मोहर्रम,सरकार ने छुट्टी में किया बदलाव

    नई दिल्ली, जेएनएन। Muharram 2021: मोहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। यह महीना शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक पैगंबर-ए-इस्‍लाम हजरत मुहम्‍मद के नाती हजरत इमाम हुसैन को इसी मोहर्रम के महीने में कर्बला की जंग में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था, जिसके चलते इसे गम का महीना भी माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर को देखें तो इस साल मोहर्रम का इस्‍लामिक महीना 11 अगस्त से शुरू हुआ है। मोहर्रम का दसवां दिन आशूरा होता है और इस दिन मोहर्रम मनाया जाता है। इस साल 20 अगस्त को आशूरा होने के चलते मोहर्रम मनाया जाएगा, जिसके चलते आज के बजाय कल इस दिन सरकारी छुट्टी रहेगी।

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    मोहर्रम को लेकर केंद्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन

    कोरोना के चलते केंद्र और राज्य सरकारों ने छुट्टी के साथ-साथ गाइडलाइन भी जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, मोहर्रम को लेकर 19 अगस्त का दिन तय किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने जामा मस्जिद के चांद देखने की सूचना के आधार पर बताया कि मोहर्रम 20 अगस्त को मनाया जाएगा। इसके तहत सरकारी छुट्टी 19 अगस्त के बदले 20 अगस्त को घोषित हुई है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए इस साल मुहर्रम पर ताजिया और जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन घरों के अंदर ताजिया निकाले जा सकते हैं।

    जानें क्यों मनाया जाता है मोहर्रम

    इस्लामिक मान्यताओं की मानें तो पैगंबर-ए-इस्‍लाम हजरत मुहम्‍मद के नाती हजरत इमाम हुसैन को इसी मुहर्रम के महीने में कर्बला की जंग में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था। कर्बला की ये जंग हजरत इमाम हुसैन और बादशाह यजीद की सेना के बीच हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, मोहर्रम  के महीने में दसवें दिन ही इस्‍लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी। इसे आशूरा भी कहा जाता है।