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    MS Swaminathan: क्या थी स्वामीनाथन रिपोर्ट जिसके नाम पर सालों हुई राजनीति, किसानों को फिर भी नहीं मिला लाभ

    By Mahen KhannaEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Thu, 28 Sep 2023 03:07 PM (IST)

    MS Swaminathan Death देश के सबसे मशहूर कृषि वैज्ञानिक और भारत के हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का आज उम्र संबंधी बीमारी के चलते निधन हो गया। स्वामीनाथन वहीं वैज्ञानिक हैं जिनकी किसानों के लिए बनाई गई रिपोर्ट पर सालों तक राजनीति होती रही। हालांकि किसानों को इससे फायदा नहीं हो सका। आइए हरित क्रांति के जनक और उनकी स्वामीनाथन रिपोर्ट के बारे में जानें...

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    MS Swaminathan Death एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। MS Swaminathan Death भारत के हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन का आज उम्र संबंधी बीमारी के चलते निधन हो गया। स्वामीनाथन देश के सबसे मशहूर कृषि वैज्ञानिक थे। उनको दूरदर्शी वैज्ञानिक और फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन कहा जाता है।

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    स्वामीनाथन वहीं वैज्ञानिक हैं, जिनकी किसानों के लिए बनाई गई रिपोर्ट (MS Swaminathan Report) पर सालों तक राजनीति होती रही। हालांकि, किसानों को इससे फायदा नहीं हो सका।

    आइए, हरित क्रांति के जनक और उनकी स्वामीनाथन रिपोर्ट के बारे में जानें....

    तमिलनाडु में जन्में, वहीं से की पढ़ाई

    एमएस स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन है। उनका जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। स्वामीनाथन की शुरुआती शिक्षा वहीं से हुई है। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां पार्वती थंगम्मल थीं। 

    उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज और बाद में कोयंबटूर के कृषि कॉलेज (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की। 

    हरित क्रांति से देश का बदला रूप

    स्वामीनाथन ने दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने का काम किया। हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने कैमिकल-जैविक तकनीक के उपयोग से धान और गेहूं के उत्पादन में भारी इजाफा लाने का मार्ग प्रशस्त किया।

    यह भी पढ़ें- MS Swaminathan: नहीं रहे हरित क्रांति के जनक, महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में निधन

    स्वामीनाथन रिपोर्ट क्या थी?

    वर्ष 2004 का समय था और कांग्रेस की यूपीए सत्ता में थी। उस समय किसानों की स्थिति जानने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था, जिसका नाम था नैशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF)। इस आयोग के प्रमुख एम एस स्वामीनाथन को बनाया गया था। आयोग ने दो सालों में 5 रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट भी कहा जाता है।

    इस रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव दिए गए थे, जिससे किसानों की स्थिति को सुधारा जा सके। रिपोर्ट में सबसे बड़ा और चर्चित सुझाव एमएसपी का था। इसमें कहा गया था कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसद लाभ मिलाकर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिलना चाहिए।

    राज्यसभा में भी उठाया खेती-किसानी का मुद्दा

    डा. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे और उन्होंने यहां भी खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे को उठाया।

    कई पुरस्कार जीते

    स्वामीनाथन को 1987 में कृषि के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार कहे जाने वाला प्रथम खाद्य पुरस्कार मिला था। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण तक से सम्मानित किया गया था। कृषि के क्षेत्र में स्वामीनाथन को 40 से अधिक पुरस्कार मिले थे।

    कई प्रमुख पदों को संभाला

    स्वामीनाथन ने अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख पदों को संभाला था। वो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक (1961-1972), आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) नियुक्त किए गए थे।