Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाईकोर्ट में तलाक की अर्जी लेकर पहुंचा शख्स, जज ने उसकी पत्नी की तारीफ में पढ़े कसीदे; बोले- ये आदर्श वाइफ

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 06:08 PM (IST)

    मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की तलाक अर्जी खारिज करते हुए पत्नी की प्रशंसा की। कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा छोड़े जाने के बावजूद पत्नी ने अपने सास-ससुर की सेवा की जो एक आदर्श भारतीय पत्नी का उदाहरण है। ऐसी महिला अपनी शक्ति और धर्म में दृढ़ रहती है जो हिंदू संस्कृति का आधार है।

    Hero Image
    याचिका दायर करने वाले शख्स की शादी 1998 में हुई थी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक शख्स की तलाक की अर्जी को ठुकराते हुए उसकी बीवी की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं।

    कोर्ट ने कहा कि जिस औरत को पति ने छोड़ दिया, फिर भी वो अपने सास-ससुर की सेवा में जुटी रही, वो "आदर्श भारतीय पत्नी" की मिसाल है। ऐसी औरत अपनी शक्ति और धर्म में अटल रहती है, जो हिंदू संस्कृति की बुनियाद है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    याचिका दायर करने वाले शख्स की शादी 1998 में हुई थी। वह स्पेशल आर्म्ड फोर्स में कॉन्स्टेबल है। वह 2006 से अपनी बीवी से अलग रह रहा था। उसने तलाक के लिए क्रूरता का हवाला दिया, मगर निचली अदालत ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद उसने इंदौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    'तलाक के दावे बेहद कमजोर और खोखले'

    जस्टिस विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने 5 अगस्त को दिए फैसले में कहा कि पति के तलाक के दावे बेहद कमजोर और खोखले हैं। कोर्ट ने देखा कि पत्नी ने पति के छोड़ने के बावजूद अपने सास-ससुर की पूरी देखभाल की।

    बेंच ने कहा, "वो उनके साथ उतनी ही मोहब्बत और सेवा से पेश आई, जितना वो पति के साथ रहते हुए करती। ये उसकी नैतिक मजबूती को दर्शाता है।"

    कोर्ट ने आगे कहा, "वो अपनी तकलीफों को सहन करती रही, मगर उसने इसे सहानुभूति बटोरने के लिए इस्तेमाल नहीं किया। उसने अपनी शक्ति को अंदर समेटा और हिंदू औरत की शक्ति का आदर्श पेश किया, न कमजोर, बल्कि धैर्य और गरिमा से भरी।"

    कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी औरत मंगलसूत्र और सिंदूर जैसे शादी के प्रतीकों को नहीं छोड़ती, क्योंकि उसके लिए शादी सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि एक पवित्र संस्कार है।

    हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू मान्यता में शादी एक पवित्र, अनश्वर और अटूट बंधन है। एक आदर्श भारतीय पत्नी, भले ही पति उसे छोड़ दे, अपनी मर्यादा, धर्म और संस्कृति को नहीं छोड़ती। कोर्ट ने कहा, "पति के छोड़ने का दर्द सहते हुए भी वो अपने धर्म पर कायम रहती है।"

    पति ने दावा किया था कि उसकी बीवी ने वैवाहिक जिम्मेदारियां नहीं निभाईं। मगर कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उनका एक बेटा है, जो अब बालिग हो चुका है। ये उनके रिश्ते की सच्चाई को दिखाता है।

    पत्नी की शिकायत को क्रूरता नहीं माना

    पति ने ये भी कहा था कि बीवी ने उस पर एक महिला सहकर्मी के साथ नाजायज रिश्ते का आरोप लगाया। कोर्ट ने इसे क्रूरता नहीं माना। जजों ने कहा कि पति के छोड़ने से दुखी औरत को ऐसी शंका होना स्वाभाविक है।

    कोर्ट ने कहा, "वो निराशा में थी और उसे लगा कि पति किसी और औरत की वजह से उसे साथ नहीं रख रहा है।"

    पत्नी ने इन आरोपों को झूठा बताया और कहा कि पति गलत आधार पर तलाक मांग रहा है। कोर्ट ने उसकी बात को सही ठहराया और कहा कि उसने ये आरोप सार्वजनिक नहीं किए, बल्कि सिर्फ तलाक की अर्जी के जवाब में अपनी बात रखी।

    यह भी पढ़ें: 'जहां आपने सीट चोरी का आरोप लगाया, वहां सबसे ज्यादा सीटें जीती कांग्रेस'; राहुल गांधी के आरोपों पर BJP का पलटवार