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    जहरीले कफ सीरप पर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा रंगनाथन, पूछताछ में दिए गोल-मोल जवाब

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 01:32 AM (IST)

    मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सीरप से 23 बच्चों की मौत के मामले में, निर्माता कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। एसआईटी की पूछताछ में उन्होंने गोलमोल जवाब दिए। रंगनाथन ने कहा कि उन्हें गड़बड़ी की जानकारी नहीं है, क्योंकि कंपनी में काम अलग-अलग लोगों को सौंपा गया था। डॉक्टर सोनी ने 300 से अधिक बच्चों को जहरीला कफ सीरप लिखा था।

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    कोल्ड्रिफ कफ सीरप।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सीरप कोल्ड्रिफ से 23 बच्चों की मृत्यु के मामले में निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल का मालिक जी. रंगनाथन अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। वह बार-बार एक ही रट लगा रहा है कि उसे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।

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    छिंदवाड़ा पुलिस की एसआइटी ने शनिवार को रंगनाथन से लगभग छह घंटे तक पूछताछ की, जिसमें उसने गोलमोल जवाब दिए। पूछताछ के दौरान एसआइटी ने यह जानने का प्रयास किया कि गड़बड़ी कैसे हुई, गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी थी और कफ सीरप में औद्योगिक उपयोग वाला प्रोपेलीन ग्लाइकाल क्यों मिलाया गया, जो जानलेवा डीईजी में परिवर्तित हो गया।

    कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ करेगी पुलिस

    रंगनाथन ने कहा कि कंपनी में सभी को अलग-अलग कार्य सौंपे गए थे और इसलिए उसे यह नहीं पता कि गलती कहां हुई। एसआइटी अब कंपनी के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों से भी पूछताछ करने की योजना बना रही है और इनमें से कुछ को आरोपित भी बनाया जा सकता है। एसआइटी रंगनाथन को रविवार को कांचीपुरम स्थित प्लांट पर भी ले जाएगी।

    बता दें कि रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर परासिया थाने लाया गया था, जहां उसके खिलाफ पांच अक्टूबर को एफआइआर दर्ज की गई थी। इस बीच, रंगनाथन की पैरवी के लिए चेन्नई से दो वकील भी छिंदवाड़ा पहुंचे हैं।

    डॉ. सोनी ने 300 से अधिक बच्चों को लिखा था जानलेवा कफ सीरप

    छिंदवाड़ा के परासिया में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी ने अपने प्राइवेट क्लीनिक में सितंबर में लगभग 5000 बच्चों का उपचार किया। इनमें 300 से अधिक बच्चों को उन्होंने जहरीला कोल्ड्रिफ कफ सीरप लिखा, जिससे 23 बच्चों की मौत हो चुकी है। बच्चों की मौत के मामले में गिरफ्तार डॉ. सोनी सरकारी अस्पताल में कार्यरत हैं और नियमों का उल्लंघन कर प्राइवेट क्लीनिक चला रहे थे।

    क्लीनिक से जब्त रजिस्टर में बच्चों के नाम और अभिभावकों के मोबाइल नंबर दर्ज हैं। स्वास्थ्य विभाग अब उन सभी से संपर्क कर रहा है। डॉ. सोनी ने बीमार बच्चों को डे-केयर सेंटर में भर्ती भी किया, जहां एक दिन का खर्च 2000 से 5000 रुपये तक होता था। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि डॉ. सोनी अस्पताल के समय भी क्लीनिक में बच्चों का उपचार करते थे, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।