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    मध्य प्रदेश में मासूमों की मौत के बाद नहीं थम रहे परिजनों आंसू, कफ सीरप ने उजाड़े कई घर

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 01:22 AM (IST)

    मध्य प्रदेश में कफ सीरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई है, जिससे पीड़ित परिवारों में शोक की लहर है। बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ कई बच्चों ने दम तोड़ दिया। सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया गया है।

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    कफ सीरप ने कई मासूमों की जान।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले एक महीने में छिंदवाड़ा का परासिया कस्बा एक भयंकर तूफान से गुजरा है। जहरीले सीरप कांड में 23 बच्चों की मृत्यु ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। कोल्ड्रिफ नामक दवा ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया। बच्चों की मौत के बाद स्वजन का दर्द और गहरा हो गया है। जिन्होंने अपने बच्चों की जान बचाने के लिए गहने गिरवी रखे, संपत्ति बेची और उधार लिया, वे अब कर्ज में डूबे हुए हैं।

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    माता-पिता पूछते हैं कि डॉक्टर प्रवीण सोनी ने ऐसी कौन सी दवा दी कि छिंदवाड़ा के चार अन्य डाक्टर भी उनके बच्चों को नहीं बचा सके। मोर डोंगरी गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा है। यहां हर घर में अधूरे सपनों, बुझी मुस्कानों और माताओं की सूनी आंखों की एक जैसी कहानी है।

    एक साल के बेटे की मौत से दर्द में परिवार

    सीमा पवार, जिनका एक वर्षीय बेटा गर्विक अब इस दुनिया में नहीं है, का दर्द बयां करना मुश्किल है। सीमा अब भी हर रात अपने बेटे को ढूंढती हैं। 15 सितंबर को गर्विक का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया था, लेकिन अब दीवारों पर टंगे गुब्बारे और रंगीन झंडियां केवल यादें बनकर रह गई हैं।

    साढ़े तीन साल के मयंक ने तोड़ा दम

    गर्विक के पिता बाबू बताते हैं कि 12 सितंबर को बेटा बीमार हुआ था और डॉक्टर सोनी की दवा से ठीक हो गया। लेकिन 20 सितंबर को उसकी तबीयत फिर खराब हुई। उसे चार अन्य डॉक्टरों के पास ले जाया गया, जिन्होंने नागपुर जाने की सलाह दी। वहां 10 दिन इलाज के बाद भी बेटे की जान नहीं बचाई जा सकी।
    पचधार गांव के नीलेश सूर्यवंशी के साढ़े तीन साल के बेटे मयंक की भी मौत हो चुकी है।

    उधार पैसे लेकर करा रहे थे बेटे का इलाज

    नीलेश ने बताया कि इलाज के लिए रिश्तेदारों और ग्रामीणों से रुपये उधार लिए हैं। उन्हें सरकार की राहत राशि से ही उम्मीद है। मयंक का इलाज डॉक्टर अमित ठाकुर ने किया था, जिन्होंने भी कोल्ड्रिफ दवा लिखी थी। चाकाढाना निवासी रसीद बोसम की 14 माह की बेटी संध्या की कोल्ड्रिफ के कारण मृत्यु हो गई। रसीद कहते हैं कि हमें सरकार से चार लाख रुपये की सहायता मिल गई है। इससे हमारी बच्ची तो वापस नहीं आएगी, लेकिन हमारा कर्ज उतर जाएगा।