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    मध्य प्रदेश में एक्शन में मोहन सरकार, बैन के बाद अभियान चलाकर घरों से वापस लाएगी कोल्ड्रिफ कफ सीरप

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 10:55 PM (IST)

    मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश में कोल्ड्रिफ सीरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और दुकानों से स्टॉक जब्त करने के निर्देश दिए हैं। छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में सीरप लेने वाले परिवारों से इसे वापस लेने के लिए अभियान चलाने के लिए कहा गया है। दवाओं की प्रभावशीलता और उन पर लिखी चेतावनी की जांच करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

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    मध्य प्रदेश में एक्शन में मोहन सरकार। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, भोपाल। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने प्रदेश में कोल्ड्रिफ सीरप के विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध के पालन के साथ ही दुकानों से उसका स्टाक जब्त करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों से उन्होंने कहा है कि छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में जिन परिवारों ने यह सीरप ली है, उनके घरों से इसे वापस लेने के लिए अभियान चलाया जाए।

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    इसमें आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही सभी शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग लें। विक्रय के लिए मेडिकल स्टोरों पर उपल्ब्ध अन्य दवाओं की प्रभावशीलता का भी आकलन कराया जाए। सुनिश्चित किया जाए कि दवाओं पर जो चेतावनी और सावधानियां लिखी जानी चाहिए, वह लिखी जा रही हैं या नहीं इसकी जांच करें। निर्धारित मापदंड की अवहेलना कर जो चिकित्सक चार वर्ष से छोटे बच्चों को कफ सीरप देने की सलाह दे रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई करें। सोमवार सुबह अपने आवास पर बुलाई उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिए थे

    मध्य प्रदेश से सबक लेकर दूसरे राज्य उससे आगे निकले

    बता दें कि नौ बच्चों की मौत के बाद राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश भर में चार अक्टूबर को कफ सीरप पर प्रतिबंध लगाया, जबकि राजस्थान सरकार एक बच्चे के दम तोड़ने के बाद एक्शन में आई और प्रदेश भर में रोक लगाई। प्रदेश का औषधि प्रशासन विभाग का अमला एक सप्ताह में सैंपलों की जांच नहीं कर पाया, जबकि मध्य प्रदेश के कहने पर तमिलनाडु ने 48 घंटे में ही रिपोर्ट दे दी। पूरे राज्य में सीरप पर प्रतिबंध लगा दिया। जबकि राजस्थान सरकार ने ड्रग कंट्रोलर को निलंबित कर दिया। उसके तीन दिन बाद मप्र में कार्रवाई हुई। वहीं, बीमारी का पता नहीं होने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं कराया गया।

    मप्र में कब क्या हुआ?

    24 अगस्त 2024 को छिंदवाड़ा के परासिया के रहने वाले चार वर्ष के बच्चे शिवम राठौर को स्वजन ने डा. प्रवीण सोनी को दिखाया। उन्होंने कोल्ड्रिफ सीरप व अन्य दवाएं दी। पेशाब रुकने की समस्या हुई। किडनी फेल होने उपचार के दौरान नागपुर में चार सितंबर को मौत हो गई। किडनी की बायोप्सी में डीइजी मिलने पर कलेक्टर ने 31 अगस्त को छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ और नेस्ट्रो-डीएस सीरप के उपयोग व बिक्री पर रोक लगाई। 29-30 सितंबर को केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की टीम ने क्षेत्र में जाकर 19 दवाओं के सैंपल लिए।

    एनआइवी पुणे की टीम ने भी माइक्रोबायोलाजी जांच के लिए बाडी फ्लूड के सैंपल लिए। तीन अक्टूबर को तमिलनाडु सरकार की जांच रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ में 48.60 प्रतिशत डीईजी की पुष्टि हुई। चार अक्टूबर को मध्य प्रदेश सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर कोल्ड्रिफ पर प्रदेश भर में रोक लगाई। प्रदेश की जांच में भी कोल्ड्रिफ में 46.20 प्रतिशत डीईजी मिला। छह अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक में लापरवाही पर अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए।