मलेरिया नियंत्रण में घोटाला, 237 रुपये में बेची गई 52 रुपये की मच्छरदानी; CBI ने दर्ज की प्राथमिकी
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी द्वारा मच्छरदानी को अधिक मूल्य पर बेचने के मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है। 49-52 रुपये की मच्छरदानी को 228-237 रुपये में बेचा गया। हिंदुस्तान कीटनाशक लिमिटेड (HIL) ने मलेरिया नियंत्रण के लिए सीएमएसएस के साथ 29 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। कंपनी ने उत्पादन क्षमता न होने पर भी एकमात्र बोलीदाता के रूप में अनुबंध प्राप्त किया।

पीटीआई, नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी द्वारा सरकार को महज 52 रुपये वाली मच्छरदानी 237 रुपये में बेचे जाने का मामला सामने आया है। सीबीआई ने इस कथित घोटाले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की है।
कितने में बेची गई मच्छरदानी
अधिकारियों के अनुसार, 49-52 रुपये वाली कीटनाशक-युक्त मच्छरदानी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत सीएमएसएस को 228 से 237 रुपये में बेची गई। पीएसयू हिंदुस्तान कीटनाशक लिमिटेड (HIL) ने 2021-22 में केंद्रीय चिकित्सा सेवा समाज (सीएमएसएस) के साथ मलेरिया नियंत्रण के लिए 11 लाख से अधिक मच्छरदानी की आपूर्ति के लिए 29 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था।
कैसे हुआ घोटाला?
यह कंपनी एकमात्र बोलीदाता थी। हालांकि कंपनी की अपनी उत्पादन क्षमता नहीं थी और इसने प्रति मच्छरदानी की कीमत 228-237 रुपये बताई थी। प्राथमिकी के अनुसार, वास्तविक उत्पादक वीकेए पालिमर्स की ओर से जेपी पालिमर्स को प्रति मच्छरदारी 49-52 रुपये में बेची गई थी। एचआइएल तक पहुंचने पर इसकी कीमत 87-90 रुपये हो गई थी।
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