Human Trafficking: मानव तस्करों के लिए तकनीक बन रही बड़ा माध्यम, यूएन ने किए कई चौंकाने वाले खुलासे
Human Trafficking विश्व में हजारों लोग चाहे अनचाहे रूप से मानव तस्करी का हिस्सा बन जाते हैं। मानव तस्करों के लिए तकनीक अब एक बड़ा हथियार भी बन गई है। वहीं माइग्रेट्स उनके लिए इसका एक बड़ा जरिया भी बने हैं।

नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पूरी दुनिया में विभिन्न कारणों से लोग जाने अनजाने मानव-तस्करी का शिकार हो जाते हैं। इसका पता उन्हें तब चलता है जब वो इस दलदल में फंस जाते हैं। बीते कुछ दशकों के दौरान तकनीक ने इसमें जबरदस्त इजाफा किया है। तकनीक मानव तस्करों के लिए एक कारगर हथियार साबित हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ माइग्रेंट्स भी इन मानव तस्करों का आसान शिकार होते हैं। मानव तस्करों के निशाने पर सबसे अधिक लड़कियां और महिलाएं होती हैं। इस संबंध में यूएन के ताजा आंकड़े भी जारी किए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में दुनियाभर के करीब 148 देशों में मानव तस्करी के करीब 50 हजार मामले सामने आए थे।
- इनमें से करीब 50 फीसद मामले शारीरिक शोषण के शिकार थे। इसके अलावा 38 फीसद मामले जबरन बंधुआ मजदूरी कराने के थे।
- रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया है कि मानव तस्करी करने वालों के निशाने पर सबसे अधिक महिलांए होती हैं। यही इनका प्राइमरी टार्गेट भी होती हैं। इसमें भी लड़कियां करीब 19 फीसद और महिलांए करीब 46 फीसद होती हैं।
- 15 वर्ष से अधिक उम्र के मानव तस्करी के पीड़ितों में 60 प्रतिशत से अधिक संख्या महिलाओं व लड़कियों की रही है। इनकी तस्करी अधिकतर यौन शोषण के लिए की गई।
- वैश्विक स्तर पर तस्करी का शिकार होने वाले हर तीन में से बच्चा या बच्ची होती होती है। पिछले करीब 15 वर्षों में बच्चों की तस्करी के मामलों में 5 गुना तेजी आई है।
- यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव तस्करी में शामिल लोगों के लिए इंटरनेट एक सबसे आसान और कारगर हथियार बना है। इसके जरिए वो सोशल मीडिया, मीडिया चैनल, आनलाइन मार्केटप्लेस साइट्स और फ्री स्टेंडिंग वेबपेज के जरिए अपने शिकार को फांसते हैं। इसके जरिए उन्हें अपने क्लांइट भी आसानी से मिल जाते हैं। इसलिए ये बेहद जरूरी है कि इस तरह की धोखाधड़ी से बचकर रहा जाए।
- 2020 UNODC Global Report on Trafficking in Persons में कहा गया है कि कुछ लोग चाहे अनचाहे इसका शिकार हो जाते हैं। इनें सबसे बड़ा कारण गरीबी होती है। इसके अलावा खुद को खतरनाक माहौल से निकालने की इच्छा होती है। इसके चलते वो माइग्रेंट्स के रूप में कब इस मानव तस्करी की भेंट चढ़ जाते हैं उन्हें इसका पता ही नहीं चल पाता है।
- रिपोर्टमें कहा गया है कि समाज में फैले इस अपराध को रोकने के लिए जरूरी है कि हम अपने आसपास के माहौल को बेहतर बनाएं, जहां पर शिक्षा हो रोजगार हो। ये दोनों ही चीजें समाज को उन्नति की राह पर ले जाती हैं, जहां पर अपराध के लिए कोई जगह नहीं होती है।
- हर वर्ष 30 जुलाई को World Day against trafficking in Persons मनाया जाता है। ये संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में पास प्रस्ताव A/RES/68/192 के तहत मनाया जाता है।
- यूएन ने अपील की है कि तकनीक को मानव तस्करी करने वालों के लिए कारगर न बनने दें बल्कि इसको उनके खिलाफ लड़ाई में भागीदार बनाएं।
- यूएन ने मानव तस्करी के खिलाफ Blue Heart Campaign में सभी से सहयोग देने की अपील की है।
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