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    देश के 15 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल के रूप में किया जाएगा विकसित, जानें क्‍या होंगी सुविधाएं

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 16 Dec 2021 09:22 PM (IST)

    सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूलों के रूप में तैयार करने की योजना पर नए साल से काम शुरू हो जाएगा। इसके तहत प्रत्येक ब्लाक में कम-से-कम दो सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल के रूप में उन्नत किया जाएगा। इनमें एक प्री-प्राइमरी और एक प्राथमिक स्कूल शामिल होगा।

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    सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूलों के रूप में तैयार करने की योजना पर नए साल से काम शुरू हो जाएगा।

     नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यदि कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ तो सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूलों के रूप में तैयार करने की योजना पर नए साल से काम शुरू हो जाएगा। इसके तहत प्रत्येक ब्लाक में कम-से-कम दो सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल के रूप में उन्नत किया जाएगा। इनमें एक प्री-प्राइमरी और एक प्राथमिक स्कूल शामिल होगा। इसके साथ ही प्रत्येक जिले के एक माध्यमिक और एक उच्च माध्यमिक स्कूल को भी आदर्श स्कूल के रूप में तैयार किया जाएगा। इस योजना के तहत पहली खेप में देश के 15 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल के रूप में तैयार किया जाएगा। प्री-प्राइमरी आदर्श स्कूलों में खेल आधारित शिक्षा दी जाएगी। यहां बच्चों को खिलौनों के जरिये पढ़ाया जाएगा। इसके लिए फिलहाल निजी क्षेत्रों से जुड़े संस्थानों की मदद ली जाएगी।

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    आदर्श स्कूल बनाने की योजना पर नए साल से शुरू हो जाएगा काम

    शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, आदर्श स्कूलों का स्वरूप दूसरे स्कूलों के लिए अनुकरणीय होगा। इसमें पूरी तरह से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दर्शन होंगे। ये अपने आप-पास के स्कूलों को परामर्श भी देंगे। इनमें बच्चों के संपूर्ण विकास का पूरा तानाबाना मौजूद रहेगा। योजना के तहत वर्ष 2024 तक पहले चरण में 15 हजार आदर्श स्कूलों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इन स्कूलों का चयन राज्यों की मदद से किया जाएगा। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, आदर्श स्कूलों से जुड़ी इस योजना पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    स्कूली शिक्षा का तय होगा एक स्टैंडर्ड

    गौरतलब है कि सरकार ने सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूलों के रूप में तैयार करने का एलान बजट में किया था। आदर्श स्कूलों के लिए योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्र में रखते हुए बनाई गई है। यहां पूरी नीति को उतारने की तैयारी है। इसके पीछे कई उद्देश्य हैं। पहला, दूसरे स्कूल भी इसका अनुसरण कर सकें। दूसरा, स्कूली शिक्षा का एक स्टैंडर्ड भी तय होगा। अभी स्कूलों का कोई स्टैंडर्ड तय नहीं है। इसका असर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। खासबात यह है कि इन आदर्श स्कूलों में गणित, विज्ञान आदि की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में ही कराई जाएगी। इसके अमल का पूरा जिम्मा राज्यों के ऊपर ही होगा। केंद्र सिर्फ निगरानी रखेगा।

    आदर्श स्कूलों में यह सब रहेगा मौजूद

    आदर्श स्कूल सभी तरह की सुविधाओं से लैस होंगे। योजना के तहत इनमें छात्रों को पढ़ाई और भविष्य के सपने को बुनने का अनुकूल माहौल मिलेगा। जिसमें स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, कौशल लैब, खेल का मैदान आदि सुविधाएं मौजूद होंगी। छात्र-शिक्षक का अनुपात भी बेहतर होगा। प्रत्येक 30 छात्रों पर एक शिक्षक होगा। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से विज्ञान, गणित, कला, संगीत,भाषा, खेल और व्यावसायिक शिक्षा आदि के शिक्षक या फिर परामर्शदाता होंगे। स्थानीय कलाकारों को भी इन स्कूलों से जोड़ा जाएगा। अभी देश में इसे पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में बाहरी विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी। समग्र शिक्षा सहित सरकारी स्कूलों से जुड़ी सभी योजनाएं लागू होंगी।