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    क्या अंतरिक्ष में उगेगी मूंग और मेथी? ISRO और नासा के Axiom Mission-4 पर क्या है अब तक का अपडेट

    Updated: Tue, 06 May 2025 06:16 AM (IST)

    भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 29 मई 2025 को अक्सिओम मिशन-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर रवानाहोंगे। इस मिशन में वह अंतरिक्ष में मूंग और मेथी जैसे भारतीय सुपरफूड्स को अंकुरित करने का प्रयोग करेंगे। इस प्रयोग से अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि पोषण और सूक्ष्मजीवों के प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी जो भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं में भोजन उत्पादन की दिशा तय करेगा।

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    अंतरिक्ष में भारतीय बीजों का पहला अंकुरण प्रयोग होगा। (प्रतीकात्मक तस्वीर/NASA)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक ऐसे मिशन की तैयारी कर रहे हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा की तस्वीर बदल सकता है। 29 मई 2025 को वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होंगे, जहां वे Axiom Mission-4 (Ax-4) का हिस्सा होंगे। यह मिशन NASA, ISRO और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) की साझेदारी में हो रहा है।

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    शुभांशु शुक्ला के साथ इस मिशन में अमेरिका की पेगी व्हिटसन, हंगरी के तिबोर कपू, और पोलैंड के स्लावोस्ज उज्नान्स्की-विश्वनेव्स्की शामिल होंगे। इनका मकसद यह समझना है कि अंतरिक्ष में जिंदगी (सिर्फ इंसानों की नहीं, बल्कि पौधों की भी) कैसे काम करती है।

    क्या अंतरिक्ष में अंकुरित हो पाएंगे मूंग और मेथी के बीज?

    इस मिशन की सबसे दिलचस्प प्रयोगों में से एक का नेतृत्व शुभांशु शुक्ला करेंगे। वे अंतरिक्ष में सलाद के बीज, खासकर हरी मूंग (green gram) और मेथी (fenugreek) को अंकुरित करने की कोशिश करेंगे।

    सवाल यह है कि क्या ये पौधे सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में भी पनप सकते हैं, जहां धरती की तरह उन्हें पनपने का वातावरण नहीं मिलता है। यह प्रयोग ISRO की उस कोशिश का हिस्सा है जिसमें अंतरिक्ष में भारत-केंद्रित खाद्य प्रयोग किए जा रहे हैं। मूंग और मेथी को इसलिए चुना गया है क्योंकि ये न केवल आम भारतीय आहार का हिस्सा हैं, बल्कि इनमें पौष्टिकता और औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।

    वैज्ञानिक क्या जानने की कोशिश कर रहे हैं?

    ISRO के माइक्रोग्रैविटी प्लेटफॉर्म और रिसर्च के प्रमुख तुषार फडनीस ने एक वर्चुअल प्रेस मीट में बताया कि ये बीज अंतरिक्ष में सिर्फ अंकुरित नहीं किए जाएंगे, बल्कि धरती पर वापस लाकर उनका गहराई से विश्लेषण किया जाएगा।

    उन्होंने कहा, "हम एक स्प्राउटिंग एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं जिसमें मूंग और मेथी के बीज अंकुरित करने की कोशिश होगी। इनमें औषधीय गुण होते हैं। साथ ही हम देखना चाहते हैं कि ये अंकुरित बीज जब वापस लौटें तो उनकी हालत कैसी रहती है।"

    किन सवालों का जवाब तलाश रहे हैं वैज्ञानिक?

    शुभांशु शुक्ला जिस एक्सपेरिमेंट को लीड कर रहे हैं, उसे लेकिन वैज्ञानिकों के मन में कई सवाल हैं। इसका जवाब इस मिशन के पूरा होने के बाद मिलेगा। दरअसल इस प्रयोग के जरिए यह जानकारी जुटाई जाएगी कि क्या बीज अंतरिक्ष में भी धरती की तरह अंकुरित हो सकते हैं? या फिर क्या अंतरिक्ष में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु पौधों की ग्रोथ को प्रभावित करेंगे? क्या इनका पोषण मूल्य (nutritional value) वैसा ही रहेगा?

    क्यों है यह प्रयोग इतना अहम?

    इस प्रयोग का मकसद है यह समझना कि क्या अंतरिक्ष यात्री भविष्य में अपने ताज़ा खाने (fresh food) को खुद उगा सकते हैं। यह खासतौर पर उन मिशनों के लिए बेहद जरूरी है जो लंबे समय के लिए होते हैं, और जहां धरती से सप्लाई पहुंचाना मुमकिन नहीं होता।

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