दीपावली पर मानसूनी बरसात का साया, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रियता 15 दिन से ठिठकी
इस वर्ष मानसून समय से पहले शुरू हुआ, लेकिन वापसी में देरी हो रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मानसून के 15 दिनों से टिके रहने के कारण पूर्वांचल में भारी बारिश हुई और नदियों का जलस्तर बढ़ गया। मौसम विभाग के अनुसार, यदि अगले 11 दिनों में मानसून नहीं लौटा, तो दीपावली पर बारिश की आशंका है, जिससे त्योहार प्रभावित हो सकता है।

मानसून अभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही बना होने से बारिश की संभावना है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। इस बार मानसूनी सक्रियता का दौर समय के पहले शुरू तो हुआ लेकिन तय समय के बाद भी मानसून लौटने से मानो इन्कार कर रहा है। मानसूनी सक्रियता पूर्वांचल के रास्ते अमूमन पांच अक्टूबर को सोनभद्र जिले से होते हुए वापस हो जाता था। इस बार अगर अगले 11 दिन तक और मानसून नहीं लौटा तो इस बार दीपावली पर मानसूनी बारिश का साया मंडरा रहा है।
बारिश होने पर दीयों के बुझने ही नहीं बल्कि पटाखों का शोर भी थम जाएगा। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक झालरों में करंट की शिकायतें बढ़ेंगी तो दूसरी ओर कारोबार को भी चुनौती मिलेगी। क्योंकि दीपावली पर अधिकांश कारोबारी अपनी दुकानें सड़क पर ही लगाकर कारोबार करते हैं। ऐसे में बारिश की सूरत बाजार की सूरज भी बिगाड़ सकती है। इसके साथ ही लैया और चूड़ा की आवक भी प्रभावित हो सकती है। क्योंकि भारी बारिश की वजह से धान भी कई क्षेत्रों में अभी ठीक से तैयार नहीं हो सका है।
इस वर्ष आधा महीने यानी करीब 15 दिनों से मानसून एक ही जगह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ठिठका हुआ है। मानसूनी सक्रियता का रुख रुहेलखंड, मध्यांचल, अवध और पूर्वांचल तक लगातार बना हुआ है। नवरात्र में वाराणसी सहित पूर्वांचल के कई जिलों में जमकर मानसूनी बारिश हुई और बारिश की सक्रियता से तापमान में जहां कमी आई वहीं दूसरी ओर बारिश की वजह से शहर भी पानी पानी नजर आया जबकि नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है।
मौसम विभाग ने गुरुवार को भी मानसून की वापसी की रेखा पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही स्थिर बताई है। मानसूनी एक ही रेखा पर 26 सितंबर से नौ अक्टूबर तक लगातार आधा महीने स्थिर बना हुआ है। मानसूनी रेखा के घटने की 15 दिन की संभावनाओं ने तो उम्मीदों पर पानी फेरा है लेकिन अब दशहरा पर भारी बारिसा कराने के बाद अब मानसूनी बादलों की नजर मानो दीपावली पर लग गई है।
बीते 15 दिनों से एक ही जगह स्थिर मानसूनी सक्रियता की रेखा अगले 11 दिनों में भी आगे बढ़ने की सूरत अगर नहीं दिखी अथवा सुस्त गति से आगे बढ़ी तो दीया जलाना भी टेढ़ी खीर हो सकता है। मौसम विज्ञानी भी मानसूनी सक्रियता को लेकर खासे असमंजस में नजर आते हैं। मौसम विभाग के अनुमानों के अनुसार पूर्वांचल के रास्ते यूपी से मानसून को पांच अक्टूबर तक औसतन हर हाल में विदा हो जाना था।
इस बार 20 अक्टूबर को दीपावली का त्योहार है और तब तक मानसून की सुस्ती नहीं टूटी तो त्योहार में मानसूनी बारिश की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। पहाड़ों पर एक ओर बर्फबारी शुरू हो चुकी है तो दूसरी ओर मैदानी इलाकों में आर्द्रता में इजाफा होने पर बादलों की सक्रियता भी नजर आने लगती है। वहीं मंगलवार को वाराणसी में सुबह कोहरे की भी स्थिति बनी थी। ऐसे में पूर्वांचल में आर्द्रता में अधिक इजाफा की संभावना कम है। लेकिन, सूरज के ताप का जोर हुुआ तो पूर्वांचल का मौसम एक बार फिर से बदल सकता है।
वहीं बाबतपुर मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से आगामी दिनों में आर्द्रता 60 से 80 फीसद तक बनी रहने की उम्मीद जताते हुए कोई अलर्ट तो नहीं जारी किया गया है लेकि बादलों की आवाजाही की जानकारी को जरूर जोड़ा गया है। वहीं सुबह और शाम को तापमान में कमी की जानकारी जारी की गई है। बताया गया है कि अधिकतम तापमान में बीते चौबीस घंटों में एक डिग्री से अधिक तक की कमी दर्ज की गई है।
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