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    Monsoon Update: तीन चौथाई हिस्सों में मानसून सक्रिय, खरीफ की खेती ने पकड़ा जोर, जानें- इस साल कैसी होगी पैदावार

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Wed, 23 Jun 2021 08:49 PM (IST)

    भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक चालू सीजन में बहुत अच्छी बारिश होगी जो खेती के लिहाज से संतोषजनक कही जा रही है। केंद्रीय कृषि आयुक्त सुरेश ...और पढ़ें

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    मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल बहुत अच्छी होगी बारिश (फोटो जागरण)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन जून को केरल तट पर पहुंचने के बाद मानसून के बादल अब देश के तीन चौथाई हिस्सों में बरस रहे हैं, जहां खरीफ सीजन की खेती शुरू हो चुकी है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भले ही मानसून की बारिश नहीं हुई है, लेकिन इन राज्यों ने सिंचाई के साधनों का फायदा उठाते हुए धान की रोपाई शुरू कर दी है। सामान्य से बेहतर मानसून की संभावना के मद्देनजर चालू सीजन में खरीफ की अच्छी पैदावार का अनुमान लगाया जा रहा है।

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    भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, चालू सीजन में बहुत अच्छी बारिश होगी जो खेती के लिहाज से संतोषजनक कही जा रही है। केंद्रीय कृषि आयुक्त सुरेश मल्होत्रा ने बताया कि मौसम विभाग के अनुमान के मद्देनजर खरीफ सीजन की तैयारियां की गई हैं। देश में मानसूनी बारिश के भरोसे ही असिंचित खेती होती है। जिन क्षेत्रों में कम बरसात होती है, उन इलाकों में दलहन व तिलहन की खेती को प्राथमिकता दी जाती है।

    इन राज्यों में दलहन की खेती पर जोर

    मल्होत्रा के मुताबिक, मध्य क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र के साथ दक्षिण के कम बारिश वाले जिलों को चिह्नित कर लिया गया है। इनमें खासतौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में दलहन की खेती पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दलहन की पैदावार बढ़ाकर इस मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इसके लिए साप्ताहिक तौर पर समीक्षा बैठकें की जा रही हैं।

    तेजी से हो रही धान की रोपाई

    भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) के निदेशक डा. अशोक कुमार सिंह का कहना है कि इस बार मानसून के पहले चरण में बारिश का समान वितरण खरीफ की खेती के लिए बहुत अच्छा रहा है। हालांकि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहरों के पानी के साथ भूजल से धान की रोपाई तेजी से हो रही है। सरकारी प्रतिबंध के चलते यहां धान की रोपाई थोड़ी विलंब से हो रही है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि मानसून अपने अंतिम चरण में इन उत्तरी राज्यों में ज्यादा बरसेगा। इसका फायदा धान की फसल के साथ आगामी रबी सीजन के लिए भी हो सकता है।

    अपेक्षित बारिश हुई तो कुल पैदावार में वृद्धि तय

    देश में मानसून जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है। इस दौरान सालभर होने वाली कुल बारिश का 77 फीसद पानी बरसता है। देश में 175 ऐसे जिले हैं, जहां आमतौर पर कम बारिश होती है। देश में मोटे अनाज वाली फसलों की 95 फीसद खेती असिंचित क्षेत्रों में ही की जाती है। दलहन फसलों का 91 फीसद हिस्सा बारिश पर निर्भर होता है। जबकि तिलहन की 80 फीसद फसलें बरसात के भरोसे होती हैं। मानसून सीजन में ही धान जैसी प्रमुख फसल की खेती होती है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा सिंचित क्षेत्रों में होता है। वर्ष 2020-21 के दौरान देश में कुल 12.14 करोड़ टन चावल की पैदावार हुई, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। डा. सिंह का दावा है कि इस बार मानसून की अपेक्षित बारिश हुई तो कुल पैदावार में वृद्धि तय है।