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    असम के 'मोइदम्स' UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल, जानिए इनकी खासियत

    By Agency Edited By: Sachin Pandey
    Updated: Fri, 26 Jul 2024 04:43 PM (IST)

    UNESCO World Heritage List विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र से भारत के लिए खुशखबरी आई है जिसमें असम के मोइदम्स को UNESCO की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। प्रतिष्ठित सूची में स्थान पाने वाली यह पूर्वोत्तर की पहली सांस्कृतिक संपत्ति है। पीएम मोदी ने इसे इसे गर्व का विषय बताया है। जानिए क्या है इन मोइदम्स की खासियत।

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    'मोइदम्स' का उपयोग असम के ताई-अहोम राजवंश द्वारा किया गया था। (Photo- assam.gov.in)

    पीटीआई, नई दिल्ली। असम के अहोम राजवंश की टीला-दफन प्रणाली - 'मोइदम्स' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। प्रतिष्ठित सूची में स्थान पाने वाली यह पूर्वोत्तर की पहली सांस्कृतिक संपत्ति बन गई है। भारत में चल रहे विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र के दौरान इसे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया गया।

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    इससे पहले भारत ने वर्ष 2023-24 में 'मोइदम्स' को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कराने के लिए नामांकित किया था। पीएम मोदी ने इसे लेकर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व की बात है कि 'मोइदम्स' ने डब्ल्यूएचसी सूची में जगह बनाई है।

    पीएम मोदी ने बताया गौरवशाली अहोम संस्कृति का प्रतीक

    उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "चराइदेव में मोइदम्स, गौरवशाली अहोम संस्कृति को प्रदर्शित करता है, जो पूर्वजों के प्रति अत्यधिक श्रद्धा रखता है। मुझे उम्मीद है कि अधिक लोग महान अहोम शासन और संस्कृति के बारे में सीखेंगे। खुशी है कि मोइदम्स विश्व विरासत सूची में शामिल हो गए हैं।" पीटीआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार मोइदम्स एक प्रकार के अद्वितीय दफन टीले हैं, जिनकी संरचना पिरामिड जैसी होती है। इनका उपयोग ताई-अहोम राजवंश द्वारा किया गया था, जिसने लगभग 600 वर्षों तक असम पर शासन किया था।

    इन मोइदम्स का उपयोग ताई-अहोम वंश द्वारा अपने राजवंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए किया जाता था। यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, 'मोइदम्स' में गुंबददार कक्ष (चौ-चली) होते हैं, जो अक्सर दो मंजिला होते हैं। इनमें प्रवेश के लिए एक धनुषाकार मार्ग होता है। अर्धगोलाकार मिट्टी के टीलों के ऊपर ईंटों और मिट्टी की परतें बिछी हुई हैं। टीले का आधार एक बहुभुजीय दीवार और एक धनुषाकार प्रवेश द्वार के माध्यम से मजबूत किया गया है। उत्खनन से पता चलता है कि प्रत्येक गुंबददार कक्ष के केंद्र में एक उठा हुआ मंच है, जहां शवों को रखा गया था।