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    'दुनिया भारत की ओर बड़ी आस से देख रही', मोहन भागवत बोले- हमें अब एकता और सद्भाव के साथ करना होगा राष्ट्र का निर्माण

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Mon, 12 Feb 2024 05:25 PM (IST)

    RSS Chief Mohan Bhagwat भागवत ने जैन तीर्थंकर महावीर के 2550वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी भौतिकवादी जीवन शैली के कारण पीड़ित हैं। उन्होंने कहा दुनिया अब अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद से भारत की ओर देख रही है क्योंकि भारत से ही वो सब सीख सकते हैं।

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    मोहन भागवत ने एकता, अहिंसा और सद्भाव का आह्वान किया।

    पीटीआई, नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को लोगों से एकता, अहिंसा और सद्भाव के मार्ग पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत में दर्शन का उच्चतम स्तर है और दुनिया अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमारी ओर देख रही है।

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    भागवत ने जैन तीर्थंकर महावीर के 2550वें 'निर्वाण' वर्ष के उपलक्ष्य में यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी भौतिकवादी जीवन शैली के कारण पीड़ित हैं। उन्होंने कहा, दुनिया अब अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद से भारत की ओर देख रही है, क्योंकि उन्हें एहसास हो गया है कि उनकी भौतिकवादी जीवन शैली उन्हें वह खुशी नहीं देती जो हर कोई चाहता है।

    अहिंसा का पालन करें

    आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भौतिकवादी चीजों में कोई खुशी नहीं है। भागवत ने कहा कि सभी के साथ सौहार्दपूर्वक रहें, अहिंसा का पालन करें, धैर्य रखें, चोरी न करें, यही जाने का मूल आधार है।

    एक रहते हुए, हमें राष्ट्र का निर्माण करना है

    उन्होंने कहा कि हमारा समाज पूर्ण सत्य की खोज के लिए अलग-अलग रास्ते चुनता है। रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है। हमारे समाज में कई तरह के लोग हैं, जैसे जैन, सिख। लेकिन इस देश के लोग होने के नाते हम सब एक हैं और एक रहते हुए, हमें राष्ट्र का निर्माण करना है। 

    भागवत ने कहा कि भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में लोगों ने पूर्ण "सत्य और शाश्वत खुशी" की तलाश में अलग-अलग रास्ते अपनाए, लेकिन भारत की खोज और बाकी दुनिया की खोज के बीच अंतर यह था कि वे इसे बाहर की दृश्य दुनिया में खोजने के बाद रुक गए और हमने, बाहर की खोज के बाद इसे अपने भीतर खोजना शुरू किया और सच्चाई का एहसास किया।

    भागवत ने आगे कहा,

    लोग आज देश और विदेश में लड़ रहे हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनमें एक साथ रहने की प्रवृत्ति नहीं है। वे भौतिक सुख चाहते हैं। इसीलिए, सच्चाई के नाम पर अतीत में कई रक्तपात हुए और अब भी हो रहे हैं।

    आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जो ताकतवर होता है वह लड़ने की बात नहीं करता। वे दूसरों को समझाने, सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं। वे सभी को अपना मानकर कमजोर को मजबूत बनाते हैं।