जलाशयों के सहारे सूखे से लड़ेगी मोदी सरकार
सरकार जलाशयों के सहारे सूखे से लड़ने की तैयारी कर रही है। मानसून कमजोर रहने की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए केंद्र ने देश के महत्वपूर्ण
नई दिल्ली, [हरिकिशन शर्मा]। सरकार जलाशयों के सहारे सूखे से लड़ने की तैयारी कर रही है। मानसून कमजोर रहने की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए केंद्र ने देश के महत्वपूर्ण 85 जलाशयों में जलभंडारण को बचाए रखने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इन जलाशयों से अनावश्यक रूप से पानी न बहे, इसके उपाय भी शुरू कर दिए हैं। इसके साथ ही सरकार छोटे-छोटे चैक डैम के जरिये बारिश के जल को रोककर सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है।
सूखे की आशंका के बीच बड़े जलाशयों में जलभंडारण का मौजूदा स्तर पिछले साल के मुकाबले बेहतर है जो राहत की बात है। जल संसाधन मंत्रलय के अनुसार 12 जून को देश के 85 महत्वपूर्ण जलाशयों में जलभंडार 39.32 अरब घन मीटर था जो पिछले साल समान अवधि के जलभंडारण की तुलना में 126 प्रतिशत है।
जलाशयों में फिलहाल जितना जल है वह बीते दस वर्ष के औसत जलभंडारण के मुकाबले 151 प्रतिशत है। इस तरह जलभंडारण की मौजूदा स्थिति बीते वर्ष और पिछले एक दशक के औसत से बेहतर है। खास बात यह है कि इनमें से 37 जलाशय ऐसे हैं जिन पर 60 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाएं भी हैं। जलविद्युत परियोजनाओं के लिए भी जल सूखे को ध्यान में रखकर ही छोड़ा जा रहा है। केंद्रीय जल आयोग भी साप्ताहिक आधार पर इन जलाशयों में जलभंडार की स्थिति पर नजर रख रहा है। उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में छह जलाशय हैं जिनमें 7.01 अरब घनमीटर जल है जो पिछले साल की तुलना में अधिक है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 12 जलाशयों में 13 अरब घन मीटर जल है जो पिछले साल से अधिक है। दक्षिणी राज्यों के जलाशयों की स्थिति भी बेहतर है। झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के जलाशयों में हालांकि पिछले साल के मुकाबले जल कम है। सरकार छोटे-छोटे चैक डैम के सहारे बारिश का पानी जमा कर सिंचाई में इस्तेमाल करने की तैयारी भी कर रही है।
सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को यहां एक कार्यक्त्रम में कहा कि सरकार देशभर में चैकडैम बनाकर जल संरक्षण को प्राथमिकता देगी। जल संरक्षण प्रणाली से पानी मिलने पर खेतों की उत्पादकता तीन गुणा बढ़ जाएगी। इससे देश में कृषि उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।