पराली संकट के स्थायी समाधान के लिए मोदी सरकार बना रही किसानों के लिए नीति
रुपाला ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के एवज में नुकसान की भरपायी के लिए मुआवजा देने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पराली जलाने की समस्या के स्थायी समाधान के लिए नीति बना रही है। इस सिलसिले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया है।
पराली पर नई नीति के लिए समिति गठित
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि आइसीएआर के सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है। नई नीति के लिए एक समिति का गठन कर दिया गया है। यह समिति एक-दो महीने में अपनी रिपोर्ट दे देगी।
किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना
रुपाला ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के एवज में नुकसान की भरपायी के लिए मुआवजा देने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान अगले फसल की बुआई से पहले खेत खाली करने के लिए पराली जलाते हैं। सरकार उन्हें फसलों की विविधता के बारे में प्रशिक्षित करने की योजना बना रही है।
सरकार ने 1,151 करोड़ की मशीनें किसानों को पराली प्रबंधन के लिए दी
रुपाला ने कहा कि सरकार ने 1,151 करोड़ रुपये की मशीनें किसानों को पराली प्रबंधन के लिए दी हैं। 55,000 मशीनें तीन राज्यों के किसानों को दी गई हैं। इसके अलावा उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है।
पराली जलाने से मिट्टी की उत्पादन क्षमता घटती है
पराली जलाने से मिट्टी की उत्पादन क्षमता कम होने की जानकारी देते हुए रुपाला ने बताया, 'यह अनुमान लगाया गया है कि एक टन धान की पराली में लगभग 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फॉस्फोरस पेंटॉक्साइड, 25 किग्रा पोटेशियम ऑक्साइड, 1.2 किग्रा सल्फर, 50 से 70 फीसद सूक्ष्म पोषक तत्व और 400 किग्रा कार्बन होता है। ये तत्व पराली जलाने के कारण नष्ट हो जाते हैं। साथ ही मिट्टी के तापमान, पीएच, नमी आदि के कारण मिट्टी की उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होती है।
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