Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Modi Cabinet: ईज ऑफ जस्टिस के लिए ई-कोर्ट प्रोजेक्ट का तीसरा चरण, 7210 करोड़ रुपये खर्च करेगी केंद्र सरकार

    By Jagran NewsEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Wed, 13 Sep 2023 07:32 PM (IST)

    न्याय में तेजी लाने के लिए सरकार के कदम बढ़े हैं। ई-कोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट को विस्तार देते हुए इसके तीसरे चरण को कैबिनेट ने मंजूरी दी गई है। इस परियोजना पर सरकार अगले चार वर्ष में 7210 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सरकार ने ई-कोर्ट के पहले और दूसरे चरण के बाद अब तीसरे चरण को लागू करने का निर्णय लिया है।

    Hero Image
    Modi Cabinet: ईज ऑफ जस्टिस के लिए ई-कोर्ट प्रोजेक्ट का तीसरा चरण, 7210 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्याय में तेजी लाने के लिए सरकार के कदम बढ़े हैं। ई-कोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट को विस्तार देते हुए इसके तीसरे चरण को कैबिनेट ने मंजूरी दी गई है। इस परियोजना पर सरकार अगले चार वर्ष में 7210 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डिजिटल, ऑनलाइन और पेपररहित बनाना है कोर्ट

    तकनीक के बेहतर प्रयोग से न्याय व्यवस्था को आमजन के लिए सुगम और सुलभ बनाने के लिए सरकार ने ई-कोर्ट के पहले और दूसरे चरण के बाद तीसरे चरण को लागू करने का निर्णय लिया है। इस परियोजना के तहत चार वर्षों में शेष न्यायालयों को डिजिटल, ऑनलाइन और पेपररहित बनाना है।

    यह भी पढ़ें- Weather Update: ओडिशा, छत्तीसगढ़ समेत यहां हुई रिकॉर्डतोड़ बारिश; IMD का अलर्ट; पढ़ें दिल्ली-UP व बिहार का हाल

    ई-फाइलिंग और ई-भुगतान की होगी व्यवस्था

    सारे कोर्ट रिकॉर्ड को डिजिटलाइजेशन करने के साथ ही ई-फाइलिंग और ई-भुगतान की व्यवस्था की जाएगी। न्यायालय परिसरों में 4400 ई-सेवा केंद्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि जो नागरिक तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं, वह भी ई-कोर्ट की सुविधा का लाभ ले सकें। इस परियोजना के तहत यातायात चालान के मामले ई-कोर्ट के माध्यम से बिना अधिवक्ताओं की उपस्थिति के ही निपटाने की व्यवस्था है। साथ ही अभियुक्तों की वर्चुअल पेशी को बढ़ाने का लक्ष्य है।

    मुकदमों के ट्रायल पर है जोर

    जोर है कि न्यायालय के समन की ऑटोमेटेड डिलीवरी नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसेज के माध्यम से हो ताकि मुकदमों के ट्रायल में अधिक समय न लगे। सरकार ई-कोर्ट को इसलिए भी बढ़ावा देनाा चाहती है, ताकि तकनीक के प्रयोग से मामलों का जल्द निस्तारण हो और न्यायालयों पर से मुकदमों का बोझ कम हो।

    यह भी पढ़ें- DL: क्या ड्राइविंग लाइसेंस देने के लिए कानून में बदलाव जरूरी है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा सवाल