हिंदी थोपना स्वाभाविक, तमिल की बात करना राष्ट्रविरोधी', भाषा विवाद पर MK Stalin बोले- ये स्वीकार नहीं
तमिलनाडु में एमके स्टालिन ने कहा कि भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवाद नहीं है बल्कि यह हर राज्य का अधिकार है। स्टालिन ने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदी को बाकी भाषाओं से ऊपर रखना चाहते हैं और गैर-हिंदी राज्यों पर इसे जबरन थोपने की कोशिश कर रहे हैं। एमके स्टालिन ने कहा कि किसी भी तरह की भाषा थोपने से दुश्मनी पैदा होती है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भाषा को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है। तीन-भाषा नीति के माध्यम से हिंदी थोपने को लेकर केंद्र पर हमला तेज करते हुए उन्होंने कहा, भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवाद नहीं है।
एक्स पर एक लंबी पोस्ट में, स्टालिन ने मनोरंजन जगत के दिग्गज फ्रैंकलिन लियोनार्ड के लोकप्रिय कथन का इस्तेमाल किया, 'जब आप विशेषाधिकार के आदी हो जाते हैं, तो समानता उत्पीड़न जैसी लगती है।
हमें राष्ट्रविरोधी करार देते हैं
डीएमके प्रमुख ने कहा कि उन्हें यह कोट तब याद आता है,
'जब कुछ कट्टरपंथी लोग तमिलनाडु में तमिलों के सही स्थान की मांग करने के 'अपराध' के लिए हमें अंधराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी करार देते हैं।'
'भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवाद नहीं'
आरएसएस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग गोडसे की विचारधारा का महिमामंडन करते हैं, उनमें डीएमके और उसकी सरकार की देशभक्ति पर सवाल उठाने का दुस्साहस है, जिसने चीनी आक्रमण, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और कारगिल युद्ध के दौरान सबसे अधिक धनराशि का योगदान दिया।
भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवाद नहीं है। क्या आप जानना चाहते हैं कि अंधराष्ट्रवाद कैसा होता है? अंधराष्ट्रवाद का मतलब है 140 करोड़ नागरिकों पर शासन करने वाले तीन आपराधिक कानूनों का नाम ऐसी भाषा में रखना जिसे तमिल लोग बोल भी नहीं सकते या पढ़कर समझ भी नहीं सकते।
'भाषा थोपने से दुश्मनी पैदा होती है'
एमके स्टालिन ने कहा कि किसी भी तरह की भाषा थोपने से दुश्मनी पैदा होती है,
"दुश्मनी एकता को खतरे में डालती है। इसलिए, असली अंधराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी हिंदी के दीवाने हैं, जो मानते हैं कि उनका हक स्वाभाविक है, लेकिन हमारा विरोध देशद्रोह है।"
थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के खिलाफ MK Stalin
राष्ट्रीय शिक्षा नीति तीन-भाषा नीति की वकालत करती है, लेकिन इस बात पर जोर देती है कि 'किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने तीन-भाषा नीति और कथित हिंदी थोपने का कड़ा विरोध किया है।
तमिलनाडु में भाजपा का तर्क है कि तीन-भाषा नीति समय की मांग है, खासकर देश के अन्य हिस्सों में यात्रा करने वाले लोगों की मदद के लिए। वे इसे क्षमता निर्माण तंत्र के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं।
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