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    Mission Gaganyaan: मिशन गगनयान को लेकर ISRO का अपडेट, उड़ान के लिए पहला टेस्ट क्रू मॉडल तैयार; देखें तस्वीरें

    By Jagran NewsEdited By: Shalini Kumari
    Updated: Sat, 07 Oct 2023 11:00 AM (IST)

    गगनयान मिशन (Mission Gaganyaan) के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मानवरहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगा। फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की तैयारी चल रही है। यह क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन के बारे में जानकारी देगा। इसरो की बेंगलुरु सुविधा में कठोर विद्युत और ध्वनिक परीक्षण के बाद टेस्ट सीएम को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) में भेज दिया गया है।

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    गगनयान मिशन के लिए मानवरहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगा इसरो

    एजेंसी, नई दिल्ली। एजेंसी, नई दिल्ली। गगनयान मिशन (Mission Gaganyaan) के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) मानवरहित उड़ान परीक्षण शुरू कर दी है। फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की तैयारी चल रही है। यह क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन के बारे में जानकारी देगा। एजेंसी ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी है।

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    सोशल मीडिया पर जारी की तस्वीरें

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एजेंसी ने पोस्ट किया, "मिशन गगनयान: इसरो गगनयान मिशन के लिए मानव रहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगा। फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की तैयारी चल रही है, जो क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन को प्रदर्शित करता है।"

    अंतिम चरण में है तैयारी

    इसरो के मुताबिक, इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष योग्यता परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान मिशन शुरू होगा। एजेंसी ने गगनयान परीक्षण उड़ान के लिए पहले क्रू मॉड्यूल के संबंध में एक प्रेस रिलीज में कहा कि पहला विकास उड़ान परीक्षण वाहन (टीवी-डी1) तैयारी के अंतिम चरण में है।

    तेजी से काम करने के लिए जोड़े गए उपकरण

    प्रेस रिलीज में कहा गया, "परीक्षण वाहन एक सिंगल-स्टेज लिक्विड रॉकेट है, जिसे इस निरस्त मिशन के लिए विकसित किया गया है। पेलोड में क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) और उनके तेजी से काम करने वाले ठोस मोटर शामिल हैं और इसके साथ ही सीएम फेयरिंग (सीएम) और इंटरफेस एडाप्टर भी जोड़ा गया है।

    विज्ञप्ति में कहा गया है कि एकीकरण के बाद क्रू मॉड्यूल को बेंगलुरु में इसरो की सुविधा में विभिन्न विद्युत परीक्षण से गुजरना पड़ा, जिसमें एक ध्वनिक परीक्षण भी शामिल था और 13 अगस्त को एसडीएससी-एसएचएआर को भेजा गया था।