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    टाइटैनिक के साथ डूब गया 'मिस एनी क्लेमर फंक' का सपना, 112 साल बाद होगा साकार

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 22 May 2019 09:22 AM (IST)

    अमेरिकी महिला ने जांजगीर में शिक्षा का उजियारा बिखेरने की 1907 में की थी पहल अब एक ईसाई संस्था लड़कियों के लिए फिर से स्कूल के संचालन की कवायद में जुटी।

    टाइटैनिक के साथ डूब गया 'मिस एनी क्लेमर फंक' का सपना, 112 साल बाद होगा साकार

    डॉ. कोमल शुक्ला, जांजगीर। टाइटैनिक जहाज के साथ अमेरिकी महिला मिस एनी क्लेमर फंक का डूब गया सपना 112 साल बाद पूरा होने की फिर उम्मीद जगी है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर में बालिका शिक्षा के लिए अलख जगाने वाली अमेरिकी महिला के खंडहर में तब्दील हो गए प्रयास को फिर साकार किए जाने की कवायद शुरू हुई है। एक ईसाई संस्था ने यहां स्कूल संचालित कर शिक्षा की लौ जगाने का बीड़ा उठाया है।

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    टाइटैनिक जहाज हादसे में जान गंवाने वालीं अमेरिका की एनी क्लेमर फंक ने 112 साल पहले भारत में बालिका शिक्षा की नींव रखी थी। बतौर मिशनरी सेवा करने 1906 में प्रथम मेनोनाइट महिला मिशनरी बनकर बेल्ली पेनिसिलवेनिया अमेरिका के जेम्स बी की पुत्री एनी क्लेमर फंक भारत आईं थीं। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में उन्होंने 1907 में गर्ल्स स्कूल की स्थापना की। हॉस्टल भी बनवाया था, जिसमें 17 छात्राएं रह कर शिक्षा ग्रहण कर रही थीं। यह स्कूल भीमा तालाब के पास किराए के मकान में संचालित हो रहा था। हालांकि, इसके अवशेष अब नहीं हैं, मगर एनी की मृत्यु के बाद उनकी स्मृति में मिस फंक मेमोरियल स्कूल प्रारंभ किया गया। बाद में यह स्कूल भी बंद हो गया और भवन भी खंडहर में तब्दील हो गया है।

    मौत खींच ले गई टाइटैनिक तक

    उनकी मां सुसन्ना क्लेमर फंक के गंभीर रूप से बीमार होने के कारण मिस फंक को अमेरिका जाना था। ऐसे में वह जांजगीर से मुंबई गईं। फिर पानी जहाज से इंग्लैंड रवाना हुईं। ब्रिटेन से अमरीका जाने के लिए उन्हें एसएस हेवाफोड्ज जहाज में जाना था, लेकिन कोयला मजदूरों की हड़ताल के कारण वह जहाज रवाना नहीं हुआ। इसलिए एनी को टाइटैनिक में अपना टिकट बुक करना पड़ा। उन्होंने 13 पौंड अधिक राशि देकर टाइटैनिक जहाज में द्वितीय श्रेणी का टिकट लिया था। उनका टिकट नंबर 237671 था, मगर नियति को कुछ और मंजूर था। 15 अप्रैल 1912 को उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक हिम खंड से टकराने के बाद जहाज डूब गया। इसमें लगभग डेढ़ हजार यात्रियों की जान गई, जिसमें मिस फंक भी शामिल थीं। उनका शव भी नहीं मिला था। 38 वर्ष तीन दिन की उम्र में वह दुनिया छोड़ गई थीं। उनकी स्मृति में मिशनरियों ने मिस फंक मेमोरियल स्कूल की शुरुआत की, जो मिशन कंपाउंड जांजगीर में संचालित हुई। कुछ साल बाद स्कूल बंद हो गया और भवन भी टूट गया, जबकि स्कूल का हॉस्टल अब भी जर्जर अवस्था में है और मिस फंक की याद ताजा कर रहा है। हर साल मिशनरी 15 अप्रैल को उनको याद कर श्रद्धांजलि देते हैं।

    फिर शुरू करेंगे बालिका विद्यालय

    मिस फंक ने 112 साल पहले बालिका शिक्षा की जो ज्योति जलाई थी, उसे फिर से प्रकाशमान करने के लिए इसाई संस्था भारतीय जनरल कांफ्रेंस मेनोनाइट कलेशिया द्वारा कन्या स्कूल की शुरुआत करने की योजना बनाई जा रही है। मेनोनाइट चर्च के निर्मल रविश पीटर ने बताया कि इस संबंध में संस्था में चर्चा हुई है और इस पर सहमति भी बन रही है।

    टाइटैनिक में मनाया था जन्मदिन

    मिस एनी फंक का जन्म 12 अप्रैल 1874 को हुआ था। अमेरिका यात्रा के दौरान जहाज में ही उन्होंने 12 अप्रैल 1912 को अपना अंतिम जन्मदिन मनाया था। 15 अप्रैल को जहाज डूबने से वह भी समुद्र में समा गईं।

    जाते-जाते भी दे गई जीवन दान

    ऐसा कहा जाता है कि 14 अप्रैल 1912 की अंधेरी रात में जब टाइटैनिक नार्थ अटलांटिक महासागर में डूब रहा था तब उसमें सवार लोगों को बचाने के लिए जहाज पर लगी छोटी नौका से उन्हें भेजा जाने लगा। अंतिम लाइफ बोट में एनी के लिए एक सीट बची थी, लेकिन उन्होंने वह सीट एक दुधमुंहे बच्चे और उसकी मां को दे दी थी।

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