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    आयुष मंत्रालय ने कहा- इम्यूनिटी बूस्टर गिलोय से लीवर खराब होने का दावा पूरी तरह से भ्रामक

    आयुष मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि गिलोय जैसी जड़ी-बूटी पर इस तरह की जहरीली प्रकृति का लेबल लगाने से पहले लेखकों को मानक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए पौधों की सही पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए थी जो उन्होंने नहीं की।

    By Shashank PandeyEdited By: Updated: Wed, 07 Jul 2021 01:40 PM (IST)
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    आयुष मंत्रालय ने बताई सच्चाई।(फोटो: दैनिक जागरण)

    नई दिल्ली, एएनआइ। आयुष मंत्रालय ने आज एक अध्ययन में किए गए उन दावों का खंडन किया जिसमें गिलोय से लीवर खराब होने का दावा किया गया है। इस नए दावे में आमतौर पर गिलोय या गुडुची के रूप में जानी जाने वाली जड़ी बूटी टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (टीसी) के इस्तेमाल से मुंबई में छह मरीजों के लीवर खराब होने का दावा किया गया है। हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि मुंबई में पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच गिलोय के सेवन से होने वाले लिवर खराब होने के करीब छह मामले देखे गए थे। अब आयुष मंत्रालय ने इस पर कहा है कि गिलोय को लिवर डैमेज से जोड़ना पूरी तरह से भ्रम पैदा करने वाली बात है।

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    आयुष मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि गिलोय जैसी जड़ी-बूटी पर इस तरह की जहरीली प्रकृति का लेबल लगाने से पहले, लेखकों को मानक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए पौधों की सही पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं की।

    आयुष मंत्रालय ने जो प्रेस रिलीज जारी किया है, उसमें लिखा है कि 'आयुष मंत्रालय ने जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के आधार पर एक मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान दिया है, जो कि लिवर के अध्ययन के लिए इंडियन नेशनल एसोसिएशन की एक सहकर्मी की समीक्षा की गई पत्रिका है। इस अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि आमतौर पर गिलोय या गुडुची के रूप में जानी जाने वाली जड़ी बूटी टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (टीसी) के उपयोग से मुंबई में छह मरीजों में लिवर फेलियर का मामला देखने को मिला।'

    प्रेस रिलीज में आगे लिखा है, 'मंत्रालय को लगता है कि अध्ययन के लेखक मामलों के सभी आवश्यक विवरणों को व्यवस्थित प्रारूप में रखने में विफल रहे। इसके अलावा, गिलोय को लिवर की क्षति से जोड़ना भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के लिए भ्रामक और विनाशकारी होगा, क्योंकि आयुर्वेद में जड़ी-बूटी गुडुची या गिलोय का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। विभिन्न विकारों के प्रबंधन में गिलोय की प्रभावकारिता अच्छी तरह से स्थापित है।'