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    2040 तक देश में घरेलू कोयले का मौजूदा उत्पादन लगातार बढ़ाना होगा: मंत्री प्रल्हाद जोशी

    कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि देश को वर्ष 2030 तक 1.5 अरब टन कोयले की जरूरत होगी। कोयला मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में देश में कोयले की कुल खपत 103 करोड़ टन के करीब हुई है।

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 17 Oct 2022 10:00 PM (IST)
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    घरेलू कोयला उत्पादन की क्षमता में करना होगा 50 प्रतिशत का इजाफा

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो।‌ केंद्र सरकार ने वर्ष 2070 तक देश को नेट जीरो (कार्बन उत्सर्जन से पूरी तरह से मुक्त) बनाने का लक्ष्य रखा है लेकिन कम से कम वर्ष 2040 तक देश में कोयले का मौजूदा उत्पादन लगातार बढ़ाना होगा। वर्ष 2040 तक देश में कोयले की मांग मौजूदा जरूरत की दोगुनी हो सकती है। इस बात के संकेत कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने नेशनल कोल कान्क्लेव एंड एक्जीबिशन का उद्घाटन करते हुए दिए।

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    कोयला मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक

    उन्होंने कहा कि देश को वर्ष 2030 तक 1.5 अरब टन कोयले की जरूरत होगी। कोयला मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में देश में कोयले की कुल खपत 103 करोड़ टन के करीब हुई है। जोशी ने यह भी कहा कि कोयला की मांग में भारी वृद्धि को सरकारी और निजी कंपनियों को संयुक्त तौर पर पूरा करना होगा। जोशी ने कहा कि देश में कोयले की मांग को पूरा करने के लिए सरकारी कंपनी कोल इंडिया को बड़ी भूमिका निभानी होगी, लेकिन निजी कंपनियों की तरफ से भी उत्पादन में धीरे-धीरे काफी वृद्धि होगी।

    खदानों में तेजी से उत्पादन बढ़ने की संभावना

    सरकार की तरफ से अभी तक 64 कोयला खदानों की नीलामी निजी सेक्टर को किए जाने का उन्होंने खास तौर पर जिक्र किया और कहा कि इन खदानों में तेजी से उत्पादन बढ़ने की संभावना है। सरकार की पूरी कोशिश है कि वर्ष 2024 से देश में ताप बिजली घरों को बाहर से कोई कोयला आयात नहीं करना पड़े। ध्यान रहे कि हाल के महीनों में बिजली उत्पादन के लिए कोयला आयात करना एक बड़ा मुद्दा रहा है।

    बिजली मंत्रालय ने पहले इस बारे में नियम बनाए थे, जिसके तहत ताप बिजली घरों के लिए घरेलू कोयला में 10 प्रतिशत तक आयातित कोयला मिलाने की बाध्यता लागू की गई थी। अब यह बाध्यता खत्म कर दी गई है। गौरतलब है कि लगभग 28 हजार मेगावाट थर्मल पावर के लिए प्लांट लगने की तैयारी में है। हालांकि कुछ पुराने हो चुके प्लांट बंद भी हो रहे हैं।

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