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    उल्लू के 5 अंडों ने महीने भर रोक दिया खदान का काम, क्या है वजह?

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    तेलंगाना के विकाराबाद जिले में एक दुर्लभ राक ईगल उल्लू के अंडों को बचाने के लिए पत्थर की खदान में खनन रोक दिया गया है। वन्यजीव फोटोग्राफरों द्वारा सूच ...और पढ़ें

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    खनन कार्य एक महीने के लिए रोका गया। सांकेतिक तस्वीर

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना के विकाराबाद जिले में पर्यावरण-हितैषी पहल के तहत पत्थर की खदान में लगभग एक महीने के लिए खनन रोक दिया गया है ताकि दुर्लभ राक ईगल उल्लू को अपने अंडों को सेने में कठिनाई न हो। राक ईगल उल्लू अंडों को सेता है और सुनिश्चित करता है कि वे गर्म रहें।

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    तेलंगाना वन विभाग ने वन्यजीव फोटोग्राफर और संरक्षणकर्ताओं द्वारा उल्लू और अंडों की मौजूदगी के बारे में सूचित किए जाने के बाद यह कार्रवाई की। विकाराबाद जिले के वन अधिकारी ज्ञानेश्वर ने बताया कि वन्यजीव फोटोग्राफर मनोज कुमार विट्टापु ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) सी. सुवर्णा को राक ईगल उल्लू और इसके पांच अंडों की उपस्थिति के बारे में बताया।

    खनन कार्य एक महीने के लिए रोका गया

    पीसीसीएफ ने वन अधिकारियों को तुरंत सुरक्षा उपाय करने के लिए कहा। वन विभाग के कर्मियों ने वहां पहुंचकर पत्थर तोड़ने वाली यूनिट के मालिक लक्ष्मा रेड्डी को अंडों के बारे में बताया। लक्ष्मा रेड्डी इस बात पर राजी हो गए कि जब तक उल्लू के बच्चे उड़ने लायक नहीं हो जाते, वे पक्षी को परेशान नहीं करेंगे।

    दुर्लभ राक ईगल उल्लू का संरक्षण

    तब से वन विभाग के कर्मचारी पक्षी पर कड़ी नजर रख रहे हैं।राक ईगल उल्लू मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह कीटों, चूहों का शिकार पर निर्भर रहता है। यह चट्टानी क्षेत्रों में रहता है। यह दुर्लभ प्रजाति है, हालांकि यह संकटग्रस्त नहीं है। यह ज्ञात नहीं है कि पक्षी ने येंकटाला घास के मैदान में कब अंडे दिए, लेकिन उम्मीद है कि अगले 15 दिनों में अंडों से बच्चे निकल सकते हैं।

    वन विभाग की त्वरित कार्रवाई

    यदि 20-25 दिनों तक ठीक से देखभाल की जाती है तो बच्चे उड़ने में भी सक्षम हो जाएंगे। विट्टापु ने 30 नवंबर को येंकटाला घास के मैदान में अंडों को देखा जो खदान की चट्टान और जमीन के बीच में थे। उन्होंने कहा, यह चमत्कार है कि हम उस समय वहां पहुंचे क्योंकि जमीन पर खनन चल रहा था। यदि खनन जारी रहता, तो अंडे जमीन पर गिरकर टूट जाते। लोग अंडों की मौजूदगी के बारे में नहीं जानते थे।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)