MiG 21: जल्द ही रिटायर हो रहा मिग 21, पाक को कई बार दे चुका है मात, जानें इसकी खासियत
भारतीय वायु सेना 30 सितंबर को पुराने मिग-21 लड़ाकू विमान के अपने चार शेष स्क्वाड्रनों में से एक को रिटायर कर देगा। भारतीय वायुसेना में मिग-21 लड़ाकू विमान लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहा है। आइए जानते हैं मिग-21 की कुछ खासियतें और खामियों के बारे में...

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना 30 सितंबर को पुराने मिग-21 लड़ाकू विमान के अपने चार शेष स्क्वाड्रनों में से एक को रिटायर कर देगा। भारतीय वायुसेना में मिग-21 लड़ाकू विमान लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहा है। इस विमान को उड़ता ताबूत भी कहा जाता है, क्योंकि पिछले कई सालों में इससे अब तक बहुत से हादसे हुए हैं जिसमें कई जवानों ने अपनी जांन गंवा दी है। इसे स्वॉर्ड आर्म्स के नाम से भी जाना जाता है। विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) अभिनंदन वर्धमान इसका हिस्सा थे।
2025 में रिटायर हो रहे तीन MiG-21
वहीं, IAF के मिराज-2000 ने 26 फरवरी, 2019 में पाक के कब्जे वाले कश्मीर में बमबारी की थी, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाको में आतंकी कैंप का सफाया किया था। ये हमला कश्मीर में पुलवामा आत्मघाती हमले के प्रतिशोध में किया गया था, जिसमें 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गए थे। खबरों की मानें तो बाकि के बचे हुए तीन मिग-21 स्क्वाड्रनों को 2025 में चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर दिया जाएगा।
मिकोयान-गुरेविच MiG-21 (Mikoyan-Gurevich MiG-21)
एक सुपरसोनिक लड़ाकू जेट विमान है जिसका निर्माण सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने किया है। इसे "बलालैका" के नाम से भी जाना जाता है।
आइए जानते हैं MiG-21 के बारे में
मिग-21 को मिकोयान गुरेविच भी कहते हैं। यह सोवियत काल के उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। सोवियत यूनियन (वर्तमान में रूस) की मिकोयान कंपनी इसका निर्माण करती थी। आपको बता दें कि इसने अपनी पहली उड़ान साल 1955 में भरी थी और भारतीय वायु सेना में साल 1963 में शामिल किया गया। इस विमान के निर्माण के पीछे मुख्य वजह सोवियत संघ और पश्चिमी देशों के बीच प्रतिद्वंदिता थी। सोवियत संघ इसके जरिए अमेरिका और उसके सहयोगी नाटों देशों को जवाब देना चाहता था।
IAF में कब शामिल किया गया?
मिग-21 विमान को भारतीय वायु सेना में साल 1963 में शामिल किया गया था। उस वक्त के सबसे उन्नत किस्म के विमानों में से एक होने की वजह से भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था। इनमें से ज्यादातर विमानों का निर्माण भारत में ही किया गया था। हालांकि, अब इस विमान का निर्माण बंद किया जा चुका है। भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इसे लाइसेंस के तहत अपग्रेड करती है।
MiG-21 से हुए हादसों की है लंबी सूची
भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमानों के हादसों की सूची काफी लंबी है। साल 2021 में करीब पांच मिग-21 विमान हादसे का शिकार हुए थे। इससे पहले 2013 में दो, 2014 में तीन, 2015 में दो, 2016 में तीन, 2018 में दो, 2019 में तीन और 2022 में राजस्थान के बाड़मेर में मिग-21 क्रैश हुआ था जिसमें दोनों पायलटों की मृत्यु हो गई थी।
इससे पहले साल 2012 में तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी ने अपने आधिकारिक बयान में बताया था कि वायु सेना में शामिल होने के बाद से लेकर साल 2012 तक 482 मिग-21 विमान हादसे के शिकार हो चुके थे। इन हादसों में 171 पायलट, 39 आम नागरिक और आठ अन्य की मौत हुई थी। इसके बाद भी साल दर साल ये विमान हादसे का शिकार होते रहे।
क्या है MiG-21 विमान की खूबी?
मिग-21 विमान को भारतीय वायुसेना के पहले सुपर सोनिक विमान के रूप में जाना जाता है। यह विमान ध्वनि की गति से तेज उड़ने की क्षमता रखते हैं। इसका इस्तेमाल दुनिया भर के 60 से अधिक देशों ने किया है। भारत के लिए भी कई अहम मौके पर मिग-21 ने गेंमचेंजर की भूमिका निभाई है। 1965, 1971 और 1999 में पाकिस्तान से लड़ाई में इस विमान ने अहम योगदान दिया था।
MIG-21 विमानों के चार स्क्वाड्रन
भारतीय वायुसेना के पास मिग-21 विमानों के 4 स्क्वाड्रन हैं। एक स्क्वाड्रन में लड़ाकू विमानों की संख्या 16 से 18 के बीच होती है। अनुमान के मुताबिक, वायुसेना के पास 64 मिग-21 उपलब्ध है। बालाकोट स्ट्राइक के समय विंग कमांडर अभिनंदन ने इसी मिग-21 से पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 विमान को मार गिराया था।
MiG-21 विमान की खामियां
मिग-21 विमान अपने आप में एक ऐतिहासिक किस्म का विमान है, लेकिन आधी सदी से अधिक पुराने हो जाने के कारण यह आधुनिकता की दौर में काफी पीछे छूट गया है। भारतीय वायु सेना इसके सबसे उन्नत किस्म मिग-21 बाइसन का इस्तेमाल करती है। इसे अत्याधुनिक बीवीआर मिसाइल से लैस किया जा सकता है। हालांकि, सभी सकारात्मक बातों के बीच आधुनिक दौर में लड़ाकू विमानों में इंजन की तकनीक सबसे ज्यादा मायने रखती है और मिग-21 विमानों की इंजन तकनीक अब काफी पुरानी हो चली है। इसके अलावा विमान का डिजाइन और फ्रेम भी पुराने जमाने का है। इस विमान को रूस ने 1985 में ही रिटायर कर दिया था। इसके अलावा ज्यादातर उपयोगकर्ता देश भी इसे रिटायर कर चुके हैं।
MiG-21 से साल 2021-22 में हुए हादसे
- 5 जनवरी 2021- मिग-21 राजस्थान में क्रैश, पायलट बाल-बाल बचे।
- 17 मार्च 2021- मिग-21 ग्वालियर में क्रैश, ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की मौत।
- 20 मई 2021- मिग-21 पंजाब के मोगा में क्रैश, पायलट अभिनव गुप्ता की मौत।
- 25 अगस्त 2021- मिग-21 राजस्थान के बाड़मेर में क्रैश, पायलट बाल-बाल बचे।
- 24 दिसंबर 2021- मिग-21 विमान जैसलमेर के पास क्रैश, विंग कमांडर हर्षित सिन्हा की मौत।
- 28 जुलाई 2022- मिग-21 विमान राजस्थान के बाड़मेर में क्रैश, दो पायलट की मृत्यु।
2013 से अब तक हादसे का शिकार हुए कुल 21 MiG-21
साल MIG-21 क्रैश मौतें
2013 2 1
2014 3 1
2015 2 0
2016 3 0
2018 2 1
2019 3 0
2021 5 3
2022 1 2
MiG-21 की खासियत
- मिग-21 सोवियत रूस का बनाया हुआ लड़ाकू विमान है। जिसे पश्चिम में फिशबेड नाम से भी जाना जाता है। पहली बार ये 1972 में सेवा में आया। तब से अब तक मिग में कई बदलाव हुए हैं।
- मिग-21 खासी तादाद में गोला-बारूद ले जाने में सक्षम है।
- कॉकपिट के बायीं ओर से गोलियां बरसाने का इंतजाम है। 420 राउंड ले जाए जा सकते हैं।
- हवा से हवा और हवा से जमीन तक मार करने वाली मिसाइलें ले जा सकता है।
- 1000 किलो तक के वजन वाले कई तरह के बम भी मिग-21 के जरिए ले जाकर दुश्मन पर बरसाए जा सकते हैं। इनमें केमिकल और क्लस्टर बम भी शामिल हैं।
- कुल 2000 किलो तक का गोला बारूद मिग पर लोड किया जा सकता है।
- मिग-21 की अधिकतम रफ्तार 2230 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है।
MiG-21 से ही अभिनंदन ने मार गिराया था पाकिस्तानी F-16
मिग-21 बाइसन वही लड़ाकू विमान है, जिसके जरिए बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराया था। हालांकि, पाकिस्तान ने कभी भी खुलकर इस सच्चाई को नहीं स्वीकार पाया। क्योंकि, लगभग 60 साल पुराने लड़ाकू विमान से पाकिस्तानी एयरफोर्स की रीढ़ कहे जाने वाले आधुनिक लड़ाकू विमान एफ-16 का मात खाना न तो अमेरिका को कबूल था और न ही पाकिस्तान को।
दरअसल, रूस ने इसे अमेरिका के खिलाफ शीतयुद्ध के दौरान ही उपयोग करने के लिए विकसित किया था। चीन इस विमान को चेंगदू जे-7 के नाम से उत्पादन करता है। रूस और चीन के बाद से भारत इस विमान का उपयोग करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। हालांकि, भविष्य में इसे स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के साथ बदले जाने की बात चल रही है।
MiG-21 के नाम भारत की तरफ से सबसे अधिक युद्ध लड़ने का रिकॉर्ड
मिग-21 बाइसन ने भारत की तरफ से सबसे अधिक युद्धों में हिस्सा लिया है। यूं तो भारत के पास कई लड़ाकू विमान हैं, लेकिन ज्यादातर मौकों पर भारतीय वायुसेना इसी लड़ाकू विमान का उपयोग करती है। इस विमान की ऑपरेशनल कॉस्ट और मेंटीनेंस दूसरे कई लड़ाकू विमानों की अपेक्षा कम है।
भारत लाइसेंस के तहत इस विमान का प्रोडक्शन हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में करता है, इसलिए इसे अपग्रेड करने के लिए रूस से थोड़ी बहुत ही मदद की जरूरत पड़ी थी। यह अपनी क्लास का सर्वश्रेष्ठ फाइटर और इंटरसेप्टर लड़ाकू विमान है। यही कारण है कि भारत आज भी एलओसी और पाकिस्तान से जुड़ी सीमा के नजदीक इस लड़ाकू विमान को ज्यादा की संख्या में ऑपरेट करता है।
जब, 27 फरवरी को बालाकोट के बाद पाकिस्तानी लड़ाकू विमान भारत की वायुसीमा में दाखिल हुए तो उस समय पास में ही गश्त कर रहे इस लड़ाकू विमान को भारत ने सबसे पहले भेजा था। कुछ ही मिनट बाद यह पाकिस्तानी एफ-16 के पास पहुंचकर उन्हें खदेड़ने के मिशन में जुट गया था। अपनी स्पीड से एफ-16 को हैरान करते हुए इसने न केवल पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को वापस भागने पर मजबूर कर दिया, जबकि विंग कमांडर अभिनंदन ने अपने मिग-12 से पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था।
177 करोड़ रुपए है एक MiG-21 की कीमत
मिग-21 लड़ाकू विमान के एक यूनिट की कीमत करीब 177 करोड़ रुपए है। जब इसका निर्माण शुरू हुआ तब इसकी कीमत तकरीबन 20 करोड़ रुपए (29 लाख डॉलर) थी। इसे मिकोयन गुरेविच डिजाइन ब्यूरो (Mikoyan-Gurevich Design Bureau) ने 1950 में डिजाइन किया था। यह एक इंजन वाला लड़ाकू विमान है।
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