'बंगाल में फंड का हुआ दुरुपयोग, तमिलनाडु को मिले यूपी से भी अधिक पैसे', मनरेगा पर और क्या बोले केंद्रीय मंत्री?
लोकसभा में मंगलवार को फिर हंगामा देखने को मिला। विपक्षी सांसदों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तमिलानाडु को उत्तर प्रदेश से भी अधिक मनरेगा का फंड दिया गया। इस बयान के बाद डीएमके सांसदों ने सदन में जमकर हंगामा किया। कई विपक्षी सांसद वेल में आए गए। इस कारण लोकसभा की कार्यवाही को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा।
पीटीआई, नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने मंगलवार को एक वित्तीय वर्ष में मनरेगा राज्यों को दिए जाने वाले फंड के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केवल एक वित्त वर्ष में तमिलनाडु राज्य को यूपी से अधिक धन दिया गया।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ से अधिक है। वहीं, तमिलनाडु की आबादी 7 करोड़ के करीब है। केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर संसद में डीएमके सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई। केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत धनराशि जारी करने में कभी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है।
'पश्चिम बंगाल में धन का दुरुपयोग'
प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को दिए गए धन के कथित दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में योजना के क्रियान्वयन के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कई चीजें गलत हुईं।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले, धन का दुरुपयोग हुआ और ऐसे मामले भी सामने आए जब कामों को विभाजित करके ठेकेदारों को नामांकित आधार पर दिया गया।
मंत्री ने कहा, "हमने एक ऑडिट टीम भेजी। उन्होंने 44 ऐसे काम पाए जिनमें अनियमितताएं थीं। उन्होंने 34 मामलों में पूरी वसूली की। अभी भी 10 अन्य काम पूरे किए जाने बाकी हैं। वित्तीय गड़बड़ी 5.37 करोड़ रुपये की थी। इसमें से उन्होंने 2.39 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। कुछ चीजों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है।"
देरी होने पर दिया जाएगा ब्याज
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सभी मुद्दों पर ध्यान देंगे। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री (शिवराज सिंह चौहान) राज्य मंत्री के साथ बैठकर मुद्दों को सुलझाएंगे। उनके बयान पर डीएमके के सांसदों ने कहा कि तमिलनाडु पिछले पांच महीनों से मनरेगा के तहत 4,034 करोड़ रुपये जारी होने का इंतजार कर रहा है।
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह योजना मांग आधारित है और अगर भुगतान में 15 दिनों से अधिक की देरी होती है, तो श्रमिकों को ब्याज सहित भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मनरेगा को पिछली यूपीए सरकार ने लागू किया था और इसमें प्रावधान है कि 15 दिन से अधिक की देरी पर 0.05 प्रतिशत ब्याज के रूप में जुर्माना देना होगा।
तमिलनाडु को मिला दस हजार करोड़ से अधिक धन
केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बताया कि कानून के अनुसार, यदि देरी होती है, तो राज्य सरकार शुरू में राशि का भुगतान करती है और केंद्र सरकार इसकी प्रतिपूर्ति करती है। तमिलनाडु को पहले ही (इस वित्तीय वर्ष में) 7,300 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। वहीं, इससे पहले भी सात करोड़ की आबादी वाले तमिलनाडु को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले थे, जबकि उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है और उसे करीब 10,000 करोड़ रुपये मिले थे। पक्षपात का कोई सवाल ही नहीं है।
'राज्यों के साथ भेदभाव का सवाल ही नही'
मंगलवार को संसद में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात कही। उन्होंने सदन को बताया कि चाहे तमिलनाडु हो या पश्चिम बंगाल, मोदी सरकार ने कभी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। सामग्री लागत सहित लंबित मनरेगा बकाया जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। यूपीए के तहत 2006-07 से 2013-14 तक पश्चिम बंगाल में व्यक्ति-दिवस के लिए केवल 111 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि एनडीए के तहत हमने 239 करोड़ व्यक्ति-दिवस बनाए हैं और 54,515 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
DMK और TMC के सांसदों ने किया जमकर विरोध
- केंद्रीय मंत्री के जवाब पर डीएमके और टीएमसी के सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई। वे सभी विरोध प्रदर्शन करते हुए वेल में आ गए। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्य भी विरोध में शामिल हो गए और एकजुटता दिखाते हुए अपनी सीटों से उठ खड़े हुए।
- विरोध प्रदर्शन कर सांसदों से लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने अपनी सीटों पर जाने का आग्रह किया। हालांकि, सांसद नहीं माने। इस विरोध प्रदर्शन के कारण लोकसभा की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
- इस दौरान स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों ने प्रश्नकाल के दौरान उठाए गए सवालों का राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया। केरल से कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश ने भी अपने राज्य में मनरेगा कार्यबल में गिरावट को उजागर किया और इसके लिए भुगतान में देरी और कम मजदूरी को जिम्मेदार ठहराया।
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