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    भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की होगी भारत वापसी, प्रत्यर्पण को एंटवर्प कोर्ट ने दी मंजूरी

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    नई दिल्ली: एंटवर्प की अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। अदालत ने कहा कि भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा की गई गिरफ्तारी वैध थी। मेहुल के पास अभी हाई कोर्ट में अपील का विकल्प है। मेहुल चोकसी पीएनबी घोटाले में वांछित है, और सीबीआई के अनुरोध पर बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया था।

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    भगोड़ा कारोबारी मेहुल चोकसी। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एंटवर्प की एक अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को शुक्रवार को मंजूरी दे दी और कहा कि भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा मेहुल की गिरफ्तारी वैध थी। घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मेहुल के पास बेल्जियम के हाई कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है।

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    वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आदेश हमारे पक्ष में आया है। अदालत ने भारत के अनुरोध पर बेल्जियम के अधिकारियों द्वारा की गई मेहुल की गिरफ्तारी को वैध करार दिया है। इस मामले में मजबूती से पक्ष रखने में विदेश मंत्रालय और सीबीआइ के भारतीय अधिकारियों ने बेल्जियम के अभियोजकों को मदद की।

    'बना हुआ है फरार होने का खतरा'

    अधिकारियों ने बताया कि अभियोजकों ने अदालत को बताया कि उसके फरार होने का खतरा बना हुआ है और उसे जेल से रिहा नहीं किया जा सकता। सितंबर में हुई सुनवाई के दौरान बेल्जियम के अभियोजकों और चोकसी के बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि उसकी गिरफ्तारी वैध थी।

    11 अप्रैल को हुई थी चोकसी की गिरफ्तारी

    सीबीआई द्वारा भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर चोकसी को 11 अप्रैल को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया था। उस देश की विभिन्न अदालतों ने उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

    गौरतलब है कि भारत ने बेल्जियम के अधिकारियों को यह भी आश्वासन दिया है कि यदि मेहुल को प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे मुंबई के आर्थर रोड जेल में बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा।

    क्या है मामला?

    मेहुल और उसका भांजा नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में वांछित हैं। इस घाटाले को मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा के कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके फर्जी लेटर आफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिये अंजाम दिया।

    भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित नीरव मोदी को इस मामले में ईडी और सीबीआइ द्वारा किए गए कानूनी अनुरोध के आधार पर 2019 में अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद से लंदन की जेल में है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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