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    'पढ़ाई के नाम पर कर्नाटक भेजी गईं बच्चियों के साथ धोखा', मेघालय ने बचाकर लड़कियों के परिवारों को सौंपा

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 11:29 PM (IST)

    मेघालय की सोशल वेलफेयर विभाग ने कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में एक निजी आवासीय शिक्षण संस्थान से बचाए गए 24 बच्चियों की औपचारिक अभिरक्षा ले ली है। ...और पढ़ें

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    कर्नाटक में बचाए गए 24 बच्चियों की जिम्मेदारी मेघालय ने संभाली (सांकेतिक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। मेघालय की सोशल वेलफेयर विभाग ने कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में एक निजी आवासीय शिक्षण संस्थान से बचाए गए 24 बच्चियों की औपचारिक अभिरक्षा ले ली है।

    कर्नाटक के पेरुमले में स्थित सौम्या केसनुपल्ली स्टूडेंट होम से 24 मेघालयी बच्चियों (उम्र 8–13 वर्ष) को बचाया गया। ये बच्चियां शिक्षा के नाम पर मेघालय से कर्नाटक भेजी गई थीं।

    जून 2025 में शिलांग की लीसीनशर कल्चरल सोसाइटी ने गरीब परिवारों (ज्यादातर दिहाड़ी मजदूरों) को लुभाया कि कर्नाटक के स्कूल-हॉस्टल मेघालय के टॉप संस्थानों जितने अच्छे हैं और खर्च बहुत कम है। माता-पिता से सिर्फ आने-जाने का टिकट खर्च लिया गया, बाकी फीस माफ बताई गई।

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    बच्चियां अलग-अलग जिलों से थीं: 10 ईस्ट खासी हिल्स, 7 ईस्ट जैनतिया हिल्स, 6 वेस्ट जैनतिया हिल्स और 1 वेस्ट खासी हिल्स से। मेघालय समाज कल्याण निदेशालय ने आरोप लगाया है कि दक्षिणी राज्य में निजी आवासीय शिक्षण संस्थान की हालत 'खराब' है।

    मेघालय राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अगाथा संगमा ने कहा कि जो संगठन इन बच्चों को कर्नाटक भेज रहा था, वह अवैध पाया गया और हमने कार्रवाई की है।

    उपायुक्त ने उनके संचालन पर प्रतिबंध लगाने के लिए उन्हें एक पत्र जारी किया है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

    संगमा ने आगे कहा कि उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना नाबालिगों को ले जाए जाने के मामलों की संख्या बढ़ रही है। आयोग ने पाया है कि कई समूह बिना पंजीकरण या जिला अधिकारियों की मंज़ूरी के नाबालिगों को मेघालय के बाहर के संस्थानों में भेज रहे हैं।

    इनमें से कुछ बच्चों को शिक्षा के बहाने राज्य के बाहर भेजा जा रहा है; हालांकि, ये संगठन पंजीकृत नहीं हैं और अवैध रूप से काम कर रहे हैं।

    एससीपीसीआर ने पहले ही मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा को पत्र लिखकर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को राज्य के बाहर के संस्थानों में भेजने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने की सिफारिश की है।