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ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच मुलाकात हुई, द्विपक्षीय संबंध होगे मजबूत

ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया। पद ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी और विदेश मंत्री एस जयशंकर दोनों के बीच मुलाकात हुई और जयशंकर ने पीएम मोदी की व्यक्तिगत बधाई भी दी।

By Avinash RaiEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 09:37 PM (IST)
ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच मुलाकात हुई, द्विपक्षीय संबंध होगे मजबूत
ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच मुलाकात हुई

नई दिल्ली, एएनआइ। ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया। पद ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति इब्राहिम राइसी और विदेश मंत्री एस जयशंकर दोनों के बीच मुलाकात हुई और जयशंकर ने पीएम मोदी की व्यक्तिगत बधाई भी दी। विदेश मंत्री 5 अगस्त से 6 अगस्त तक ईरान की यात्रा पर है। इस दौरान वह ईरान के शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। इस बातचीत का मुख्य मुद्दा दोनों देशों के संबंध और अफगान के मौजूदा हालात रह सकते हैं।

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विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि उनकी प्रतिबद्धता हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए थी। हमारे क्षेत्रीय हितों में भी समानता है। हम उनकी टीम के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं। बता दें कि पिछले महीने रूस जाते वक्त जयशंकर ईरान की राजधानी में ठहरे थे और इस दौरान उन्होंने राईसी से मुलाकात की थी।

कट्टरपंथी पूर्व न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी ने ईरान के राष्ट्रपति पद की शपथ गुरुवार को ली, इस समय ईरान देश की डूबती अर्थव्यवस्था, कोरोना वायरस, परमाणु समझौते और अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में फंसा हुआ है। शीर्ष नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी माने जाने वाले राइसी को कट्टरपंथी नेता के रूप में माना जाता है। इब्राहिम रईसी ईरान के 8वें राष्ट्रपति हैं।

शपथ ग्रहण समारोह के आयोजन में ईरान सरकार द्वारा भारत को निंमत्रण दिया गया। निंमत्रण दोनों देशों के रिश्तों को और भी मजबुत बनाने की मंशा को दर्शाता हैं। भारत ने इस आयोजन के लिए ईरान द्वारा निमंत्रण को स्वीकार किया क्योंकि खाड़ी क्षेत्र में ईरान पहले से ही भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश रहा है। इस समारोह में दूसरे देश के नेताओं और प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।


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