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    स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी : आइए मिलिए उस मूर्तिकार से जिसने रचा भव्‍य प्रतिमा का कीर्तिमान

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Tue, 30 Oct 2018 11:34 PM (IST)

    वल्‍लभभाई पटेल की मूर्ति इतनी बड़ी है तो जाहिर है इसे बनाने में काफी मश्‍क्‍कत उठानी पड़ी होगी। इस मूर्ति को राम सुतार ने बनाया है।

    स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी : आइए मिलिए उस मूर्तिकार से जिसने रचा भव्‍य प्रतिमा का कीर्तिमान

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। देश की एकता के महानायक सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मूर्ति का आज पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे। यह मूर्ति देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है। यह मूर्ति को पूरे विश्‍व में सबसे ऊंची मूर्ति होने का तमगा मिला है। इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है। वल्‍लभभाई पटेल की मूर्ति इतनी बड़ी है तो जाहिर है इसे बनाने में काफी मशक्‍कत उठानी पड़ी होगी। आइए जानते हैं वल्‍लभभाई पटेल की मूर्ति को किसने बनाया है।

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    इस मूर्ति को राम सुतार ने बनाया है। इनका जन्‍म 19 फरवरी, 1925 को महाराष्‍ट्र में हुआ था। राम सुतार ने इससे पहले भी कई महापुरुषों की विशाल-विशाल मूर्तियों को बना चुके हैं। इस काम में मिली प्रसिद्धि के कारण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्‍हें पद्मश्री से 1999 में सम्‍मानित किया था।

    गरीब परिवार में जन्में सुतार के पिता लकड़ी का काम करते थे। इन्‍होंने जेजे स्‍कूल ऑफ आर्ट से पढ़ाई की है। पढ़ाई में अव्‍वल रहने के कारण इन्‍हें सम्‍मानित भी मिला। इन्‍हें मेयो गोल्‍ड मेडल मिला। फिर औरंगाबाद के आर्कियोलाॅली विभाग में अपनी सेवा दी इस दौरान अंजता-एलोरा की प्राचीन गुफाओं की मूर्तियों का पुनर्स्‍थापन का काम किया।

    89 वर्ष की आयु में उनके अन्दर बैठा मूर्तिकार आज भी अपने कला-कर्म के प्रति निष्ठावान है। 45 फुट ऊँची चम्बल देवी की मूर्ति बनाकर इतिहास रचने का काम भी इन्‍होंने ही किया है। अपने काम के प्रति लगन के कारण ही इन्‍होंने स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी की मूर्ति को बनाया है जो आज सबसे ऊंची मूर्ति होने का दर्जा प्राप्‍त कर रही है।

    राम सुतार ने सबसे ज्‍यादा गांधी की प्रतिमा बनाई हैं। उन्‍होंने करीब साढ़े तीन सौ गांधी की मूर्ति बनाई है। इन्‍होंने संसद भवन में भी कई मूर्ति बनाई है। इनमें मौलाना आजाद,इंदिरा गांधी, नेहरू समेत अन्‍य लोगों की हैं।
    वल्‍लभभाई पटेल की मूर्ति गुजरात के नर्मदा नदी के किनारे सरदार सरोवर बांध के नजदीक बनी है। यहां से आप प्राकृतिक सौंदर्य और बेमिसाल इंजिनियरिंग का मिलन होते हुए महसूस करेंगे। यह मूर्ति शिल्प कला की एक मिसाल होगी।
    लौह पुरूष की इस प्रतिमा का वजन 1700 टन है। इस प्रतिमा की खासियत यह है कि कॉपर, टिन, लेड और जिंक से बनाया गया है जिसके कारण इसमें कभी जंग नहीं लगेगी।