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भारत में दुनिया का सबसे बड़ा परिवार, 181 सदस्‍य रहते हैं साथ

वक्त की जरूरत के मुताबिक भले ही न्यूक्लियर फेमिली यानी एकल परिवारों की ओर लोगों का रुझान ज्यादा हो, लेकिन परिवार को पूंजी समझने वाले ऐसे भी बहुतायत में हैं जिनकी कई पीढ़ियां एक ही छत के नीचे रह रही हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 10:21 AM (IST)
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा परिवार, 181 सदस्‍य रहते हैं साथ
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा परिवार, 181 सदस्‍य रहते हैं साथ

[जागरण स्पेशल]। वक्त की जरूरत के मुताबिक भले ही न्यूक्लियर फेमिली यानी एकल परिवारों की ओर लोगों का रुझान ज्यादा हो, लेकिन परिवार को पूंजी समझने वाले ऐसे भी बहुतायत में हैं जिनकी कई पीढ़ियां एक ही छत के नीचे रह रही हैं। दुनिया के सबसे बडे़ परिवार की कहानी। 181 सदस्यों वाला यह परिवार देश के पूर्वोत्तर में स्थित मिजोरम में रहता है।

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प्रेम का धागा
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज जिओना चाना का परिवार दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है। इसमें कुल 181 सदस्य हैं। यह मिजोरम के बक्तवांग गांव में 100 कमरों के चार मंजिला घर में रहता है। चाना ने पहली शादी 17 साल की उम्र में की। उन्होंने एक साल में 10 शादियां तक की हैं। परिवार आपसी प्यार और सम्मान के साथ रहता है। चाना अभी 72 साल के हैं।

शासन
परिवार में सेना जैसा अनुशासन है। चाना की सबसे पहली पत्नी जाथिआंगी की सत्ता चलती है। वही सबके दैनिक काम जैसे सफाई, भोजन बनाना,कपड़े धोना आदि बांटती हैं। चाना खुद को बेहद भाग्यशाली मानते हैं कि उनका परिवार दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है।

एक दिन का खाना
परिवार के सिर्फ एक दिन के खाने में 30 चिकन, दर्जनों अंडे, 60 किग्रा आलू,100 किग्रा चावल, लगते हैं। परिवार हर दिन 20 किग्रा फल खाता है।

भारत में बढ़े एकल परिवार
2011 की जनसंख्या के अनुसार 2001 से 2011 के बीच आर्थिक प्रगति की दर 7.4 फीसद रही। समृद्धि और रोजगारी के मौके बढ़ने से एकल परिवारों की संख्या भी बढ़ी। 2001 में देश में जहां 13.5 करोड़ एकल परिवार थे वहीं 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई। हालांकि शहरों में अब एकल परिवारों की संख्या जनसंख्या के अनुपात में नहीं बढ़ रही। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पापुलेशन स्टडीज के अनुसार शहरों में महंगे होते घर और पति-पत्नी दोनों के काम करने से संयुक्त परिवारों का चलन बढ़ रहा है।

ताकि बिखरे न कुनबा
संयुक्त परिवारों में कई बार पीढ़ियों के बीच सामंजस्य बनाने की बड़ी चुनौती रहती है। ऐसे परिवारों में एक साथ तीन-तीन पीढ़ियां जीवन निर्वाह करती हैं। उनके रहने, सोचने और समझने के तरीकों में अंतर स्वाभाविक हो जाता है। ऐसे में जरा सी समझदारी से परिवार को एकसूत्र में पिरोए रखा जा सकता है।

- सबका अपना कमरा हो, जिससे सबकी निजता बरकरार रहे।

- बड़े लोग छोटों पर गैरवाजिब अधिकार नहीं जमाएं।

- खर्च बांटने के लिए सभी पैसा दें।

- घर के कामों का बंटवारा बराबर हो।

- एक-दूसरे का सम्मान करें।  


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