भारत में 14 लाख बच्चों का नहीं हुआ टीकाकरण, लैंसेट रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा; खसरा और पोलियो जैसी बीमारियां बढ़ने का खतरा
दुनिया के साथ-साथ भारत में बच्चों के टीकाकरण को लेकर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विश्वभर में 1.57 करोड़ बच्चे हैं, जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। इससे खसरा और पोलियो जैसी बीमारियों के बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।
भारत में गिरी टीकाकरण की दर (फाइल फोटो)
जेएनएन, डिजिटल डेस्क। भारत में 14 लाख बच्चे ऐसे थे, जिनको जीवन रक्षक डीटीपी वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी। इस बात का खुलासा मेडिकल जर्नल लैंसेट की एक नई रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में दुनियाभर में 1.57 करोड़ बच्चों को ये वैक्सीन नहीं लगी और आधे से ज्यादा जीरो डोज बच्चे सिर्फ 8 देशों में हैं। इनमें भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, सूडान और सोमालिया शामिल हैं।
रिपोर्ट की अगर मानें तो इन देशों में लंबे समय से स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए निवेश में कमी, राजनीतिक अस्थिरता और शिक्षा की भी कमी बताई गई। टीकाकरण की दिशा में पिछले 50 सालों में प्रगति तो हुई है लेकिन अभी भी गहरी असमानता है। कोरोना महामारी, गलत जानकारी या सूचना और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ने इस प्रगति को धीमा या फिर उल्टा कर दिया।
फिर पनपने लगेंगे खसरा, पोलियो जैसे रोग
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर इस समस्या को दूर नहीं किया जाता है तो खसरा, पोलियो और डिप्थीरिया जैसी बीमारियां फिर से महामारी का रूप धारण कर सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 1980 में दुनिया में 5.88 करोड़ ऐसे बच्चे थे, जिन्हें बचपन में कोई भी टीका नहीं लगा। इनमें से पचास प्रतिशत से ऊपर बच्चे भारत, पाकिस्तान, चीन, इंडोनेशिया और बांग्लादेश से ही थे। हालांकि 2019 तक जीरो डोज बच्चों की संख्या गिरकर अब 1.47 करोड़ रह गई।
कैसे पूरा होगा डब्ल्यूएचओ का टारगेट
यूनाइडेट नेशन और डब्ल्यूएचओ का टारगेट है कि 2030 तक जीरो डोज बच्चों की संख्या को 2019 की तुलना में आधा किया जाए। वहीं, रिपोर्ट पर गौर करें तो अब तक ये टारगेट 204 देशों में से सिर्फ 18 देश ही पूरा कर पाए हैं। अफ्रीका और साउथ एशिया में ये संकट और भी गहरा है।
टीकाकरण में गिरावट का क्या है कारण?
बच्चों के टीकाकरण में गिरावट की सबसे बड़ी वजह रिपोर्ट में कोरोना महामारी को बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के बाद हेल्थ सिस्टम पर बोझ बढ़ा है और यही वजह है कि वैक्सीनेशन में भारी गिराटवट देखने को मिली। इसके अलावा सूडान और डीआर कांगो में राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध भी एक वजह है। साथ ही टीकाकरण पर कम खर्चा या फिर इसको प्राथमिकता न देना भी वजहों में शामिल है।
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