MCI की जगह NMC से होगा मेडिकल शिक्षा में सुधार, राज्यसभा में सत्तापक्ष के अधिक संख्या से जगी उम्मीद
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक धिकारी ने उम्मीद जताई कि लोकसभा में भारी बहुमत और राज्यसभा में सत्तापक्ष के अधिक सदस्यों को देखते हुए MCI संशोधन विधेयक पास हो जाएगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) संशोधन विधेयक को नए सिरे से लोकसभा में पेश किये जाने के बाद एमसीआइ के पूरी तरह खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई है। विधेयक के संसद से पारित होने के बाद देश में मेडिकल शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए एमसीआइ की जगह राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (MNC) के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा।
यह विधेयक पिछले साल दिसंबर में लोकसभा से पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा से पास नहीं होने के कारण निरस्त हो गया था। सरकार पहले ही एमसीआइ को भंग कर चुकी है और उसका कामकाज 12 सदस्यीय बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) देख रहा है।
1956 से देश में मेडिकल शिक्षा की निगरानी करने वाले एमसीआइ में फैले भ्रष्टाचार, उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों और अदालत के आदेशों के खुलेआम उल्लंघन को देखते हुए सरकार ने पिछले साल सितंबर में एमसीआइ को भंग कर दिया था और उसके कामकाज को देखने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन कर दिया था।
इसके साथ ही संसद की स्थायी समिति के सुझाए संशोधनों के अनुरूप एक नया संशोधन विधेयक संसद से पास कराने का फैसला किया था। राज्यसभा में संशोधन विधेयक के अटक जाने के बाद सरकार को इस साल जनवरी में दोबारा बीओजी के लिए अध्यादेश जारी करना पड़ा था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उम्मीद जताई कि लोकसभा में भारी बहुमत और राज्यसभा में पिछली बार की तुलना में सत्तापक्ष में अधिक सदस्यों को देखते हुए एमसीआइ संशोधन विधेयक पास हो जाएगा। उनके अनुसार एमसीआइ देश में मेडिकल शिक्षा के विकास और विस्तार के रास्ते में सबसे बड़ा रूकावट बन गया था।
एमसीआइ की कार्यशैली से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में उसके कामकाज की निगरानी के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन का फैसला सुनाया था। लेकिन इसके बाद भी एमसीआइ पर कोई फर्क नहीं पड़ा और निगरानी समिति के सुझावों को उसने कोई तवज्जो नहीं दी। आखिरकार निगरानी समिति के सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया था। आखिरकार सरकार को बीओजी का गठन करना पड़ा था।
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एमसीआइ के भंग किये जाने के बाद मेडिकल शिक्षा में सुधार का रास्ता साफ हुआ है। पहली बार एक साल में ढाई हजार से ज्यादा एमबीबीएस की सीटें बढ़ाई जा सकी हैं। यही नहीं, सरकार ने 75 जिलों में नए मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा की है। सरकार की कोशिश देश में प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी को दूर करना है ताकि लोगों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जा सकें।