मीडिया संगठनों को अनिवार्य रूप से रखना होगा फैक्ट चेक मेकेनिज्म, फेक न्यूज लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा
मंगलवार को अपनाई गई अपनी मसौदा रिपोर्ट में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति ने सभी प्रिंट डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया संगठनों में अनिवार्य रूप से फैक्ट चेक मेकेनिज्म और आंतरिक लोकपाल रखने का भी आह्वान किया है। इनमें फर्जी खबरों की चुनौती से निपटने के लिए सरकारी निजी और स्वतंत्र फैक्ट चेकर सहित सभी हितधारकों के बीच सहयोग करना शामिल है।

पीटीआई, नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने फर्जी खबरों को सार्वजनिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा बताया है और इस चुनौती से निपटने के लिए दंडात्मक प्रविधानों में संशोधन, जुर्माना बढ़ाने और जवाबदेही तय करने की सिफारिश की है।
फैक्ट चेक मेकेनिज्म और आंतरिक लोकपाल रखने का भी आह्वान किया
मंगलवार को अपनाई गई अपनी मसौदा रिपोर्ट में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति ने सभी प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया संगठनों में अनिवार्य रूप से फैक्ट चेक मेकेनिज्म और आंतरिक लोकपाल रखने का भी आह्वान किया है।
समिति ने कई सुझाव दिए हैं
सूत्रों ने बताया कि समिति ने कई सुझाव दिए हैं। इनमें फर्जी खबरों की चुनौती से निपटने के लिए सरकारी, निजी और स्वतंत्र फैक्ट चेकर सहित सभी हितधारकों के बीच सहयोग करना शामिल है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली समिति ने सर्वसम्मति से रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिससे पता चलता है कि फर्जी खबरों की समस्या से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सभी दलों का समर्थन हासिल है।
मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है-समिति चाहती है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि फैक्ट चेक मेकेनिज्म और आंतरिक लोकपाल सभी प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रानिक मीडिया संगठनों में अनिवार्य किया जाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी है और अगले सत्र के दौरान इसे संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
समिति की अहम सिफारिशें
- समिति ने संपादकीय नियंत्रण के लिए संपादकों और विषय वस्तु प्रमुखों तथा संस्थागत विफलताओं के लिए मालिकों और प्रकाशकों को जवाबदेह ठहराने की मांग की है।
- कहा है कि फर्जी खबरें फैलाने के लिए कंपनियों और प्लेटफार्मों को जिम्मेदार माना जाना चाहिए।
- फेक न्यूज के प्रकाशन और प्रसारण पर नकेल कसने के लिए मौजूदा नियमों और दंडात्मक प्रविधानों में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
- समिति ने यह भी कहा है कि इसमें मीडिया निकायों और संबंधित हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने की प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए।
हम भारत को बांग्लादेश और नेपाल जैसा नहीं बनने देंगे
निशिकांत दुबे एक्स पर पोस्ट में निशिकांत दुबे ने एक फर्जी खबर का स्क्रीनशाट साझा किया, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी समिति ने लोकसभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें गलत सूचना के लिए सख्त कदमों की सिफारिश की गई है। इसमें अन्य फर्जी खबरों और महिलाओं व बच्चों के बारे में सामग्री तैयार करने के लिए एआइ के दुरुपयोग को भी कवर किया गया है।
कोई भी खबर तथ्यात्मक होनी चाहिए
उन्होंने कहा कि हम भारत को बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड की तरह नहीं बनने देंगे। जो लोग राष्ट्र विरोधी ताकतों का एजेंडा चला रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं, उन पर अंकुश लगाया जाएगा। कोई भी खबर तथ्यात्मक होनी चाहिए।
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