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    चीन पर विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा हमला, बिना नाम लिए बोले- बाहरी ताकतें फैला रही एजेंडा; जानिए पूरा मामला

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को ओमान में हुए इंडियन ओसियन कॉन्फ्रेंस-2025 में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र को अपार संभावनाओं वाला करार देते हुए सभी देशों के साथ बेहतर संबंध कायम करने की बात कही। जयशंकर ने चीन पर हमला बोलते हुए कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाहरी ताकतें अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sun, 16 Feb 2025 10:00 PM (IST)
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    फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और अमेरिका के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया (फोटो: @DrSJaishankar)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत ना सिर्फ अपनी क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि इस क्षेत्र के दूसरे देशों को भी उनकी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही भारत इस क्षेत्र के तीन दिशाओं में कनेक्टिविटी परियोजना लगाने का काम भी कर रहा है।

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    यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को ओमान में हुए इंडियन ओसियन कॉन्फ्रेंस-2025 में दी। जयशंकर ने चीन का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जो तथ्य सामने रखे उससे स्पष्ट है कि हिंद महासागार में चीन के अलावा भारत ही दूसरा देश है, जो ना सिर्फ कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लगाने में जुटा है, बल्कि छोटे-बड़े सभी देशों को अपने स्तर पर कोई न कोई मदद कर रहा है।

    नेपाल, मालदीव के विदेश मंत्री हुए शामिल

    इस क्षेत्र में भारत जिस तरह से अपने दायित्व निभा रहा है, दूसरे देशों को नेतृत्व दे रहा है, उसको लेकर विदेश मंत्री ने 10 ताजा-तरीन उदाहरण भी दिए। इंडिया फाउंडशन की तरफ से आयोजित इस सम्मेलन में पश्चिम एशिया के नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव जैसे भारत के सहयोगी देशों के विदेश मंत्रियों ने भी अपनी बात रखी।

    (फोटो: @DrSJaishankar)

    जबकि फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और अमेरिका के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भी हिस्सा लिया। हिंद महासागर में चीन के विशेष प्रतिनिधि ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया। चीन ने पहली बार इसमें अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा है और इस क्षेत्र को अपार संभावनाओं वाला करार देते हुए इन सभी देशों के साथ बेहतर संबंध कायम करने की बात कही।

    जयशंकर ने किया सम्मेलन को संबोधित

    • बहरहाल, इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरीडोर (आइएमईसी), भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय हाईवे (आईएटीटी) और द इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ इकोनॉमिक कॉरीडोर (आईएनएसटीसी) का उदाहरण देते हुए बताया कि इन तीनों परियोजनाओं में भारत ही एकमात्र साझा साझेदार है।
    • बताते चलें कि आईएमईसी के बारे में पिछले हफ्ते भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी की की फ्रांस और अमेरिका के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग वार्ता हुई है। जयशंकर ने बताया कि कैसे कोविड के दौरान भारत ने इस क्षेत्र के कई देशों को खाद्य सामग्रियों से लेकर टीका और दवाइयां तक उपलब्ध कराई।
    • श्रीलंका को चार अरब डॉलर की मदद देकर उसे वित्तीय संकट से जूझने की ताकत दी। जब भी इस क्षेत्र में कोई प्राकृतिक आपदा होती है, तो सबसे पहले भारत पहुंचता है। यमन से लेकर मोजाम्बिक तक और म्यांमार से लेकर नेपाल तक इसका उदाहरण है। इस क्षेत्र के दो समुद्री व्यापारिक रूट (उत्तरी अरब सागर और एडन की खाड़ी) में भारत पिछले दो वर्षों से अपनी नौ सेना को तैनात कर सुरक्षा दे रहा है।

    हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति का किया जिक्र

    इसके साथ ही जयशंकर ने हिंद प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां स्थानीय और बाहरी ताकतें सक्रिय हैं। लेकिन भारत को भरोसा है कि वह इस वजह से जो चुनौतियां पैदा हो रही हैं, वह उनके समाधान की क्षमता रखता है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाहरी ताकतें इस क्षेत्र में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो।

    इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के समुद्री कानून (यूएनक्लोज) को पूरी तरह से लागू करने की जरूरत बताई। इस बयान से विदेश मंत्री ने चीन के साथ ही अमेरिका भी संदेश देने का काम किया है।

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