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    माय सिटी माय प्राइडः जानिए, कैसे बना पुणे एजुकेशन की राजधानी

    By Krishan KumarEdited By:
    Updated: Wed, 29 Aug 2018 10:58 AM (IST)

    भारत सरकार के द्वारा जारी ईज ऑफ लिविंग इंडेक्‍स में पुणे को 58.11 का स्‍कोर मिला है।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन । नमस्‍कार, मैं पुणे हूं। 1978 से पहले तक लोग मुझे पूना नाम से भी जानते थे। मैं भारत का आठवां सबसे बड़ा महानगर हूं, मुंबई के बाद महाराष्‍ट्र का दूसरा बड़ा शहर हूं । आर्थिक और इंडस्ट्रियल ग्रोथ मेरी पहचान रही है। कभी मैं मराठा साम्राज्‍य का गृहनगर था, मेरा इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी मैं बेहद अहम रहा हूं। एजुकेशन के क्षेत्र में वर्चस्व के कारण मुझे ‘ऑक्‍सफोर्ड ऑफ ईस्‍ट’ भी कहा जाता है। वर्तमान में मेरी पहचान ऐसे शहर की है जहां पर तकनीक, इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल का बोलबाला है। वहीं, मैं सांस्‍कृतिक विरासत को भी सहेजने में कामयाब रहा हूं।

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    हाल में भारत सरकार के द्वारा जारी ईज ऑफ लिविंग इंडेक्‍स में मुझे 58.11 का स्‍कोर मिला है जिसमें मैं नंबर वन शहर के रूप में दर्ज हुआ हूं। वहीं, शिक्षा के मामले में मैं टॉप -10 शहरों में आठवें नंबर पर हूं।आइए, आपको मैं बताता हूं कि पुणे कैसे शिक्षा का अहम केंद्र बना। यहां सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी पुणे है, जिससे आठ सौ से ज्‍यादा कॉलेज संबद्ध हैं। यही कारण है कि यह विश्‍व की दूसरी बड़ी यूनिवर्सिटी है। एक और संस्थान भारतीय विद्यापीठ यूनिविर्सिटी से ढाई सौ से ज्‍यादा कोर्स संचालित होते हैं।

     

     

    यहां प्राइवेट यूनिव‍िर्सिटी के तौर पर सिबोंसिस है। एक आंकड़े के मुताबिक, यहां 9 से ज्‍यादा डीम्‍ड यूनिवर्सिटी और 400 से ज्‍यादा कॉलेज हैं। रिसर्च के क्षेत्र में भी मैं अग्रणी स्थान रखता हूं। यहां कई रिसर्च इंस्‍टीट्यूट की मौजूदगी हैं। यहां पर नेशनल केमिस्ट्री लेबोरेटरी है। इसके साथ ही यहां पर 1950 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना की गई थी। इसमें 200 से ज्यादा वैज्ञानिक रिसर्च के काम में लगे हुए हैं। मेरे यहां पर फर्ग्युसन कॉलेज भी है जिसकी स्थापना आजादी से काफी पहले ही हुई थी। 1885 में संचालित यह कॉलेज भारत का पहला प्राइवेट संस्था के द्वारा शुरू किया संस्थान था।

    यहां के शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि शहर में छात्र इसलिए भी आना पसंद करते हैं क्‍योंकि यहां का पर्यावरण बेहद सुकून देने वाला है। दूसरी अहम बात यह भी है कि यह शहर पढ़ाई के बाद लोगों के लिए रोजगार के मौके भी उत्‍पन्‍न कर रहा है।मैं शिक्षा के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा हूं। उसका कारण है कि मेरे यहां कि आधारभूत संरचना एजुकेशन सिस्टम के लिए माकूल है। साथ ही मेरे यहां के लोगों का शिक्षा के प्रति शुरू से ही ऐतिहासिक जुड़ाव रहा है। यहां के नागरिक शिक्षा के प्रति गंभीर है और वे हर हालत में अच्छे शिक्षा संस्थान बनाने के लिए प्रतिबद्ध नजर आते हैं।

    सरकार भी इस लक्ष्य को पाने के लिए मेरे सदैव तत्पर नजर आती है। मुझे हमेशा से सरकारी योजनाओं से लाभ मिला है। सबसे बड़ी बात है कि समूचे देश के लोग मुझे समर्थन देते हैं और मानते हैं कि बेहतर शिक्षा पुणे की सबसे बड़ी पूंजी है। समृद्ध एजुकेशन सिस्टम के कारण मैं पूरे विश्व के छात्रों को आकर्षित करता हूं।

    पुणे की शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति काफी सुखद संकेत देती है। इस बारे में मानव संसाधन मंत्री विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से पुणे के बेहतर शिक्षण हब बनने के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि इसकी ये पांच चीजें महत्‍वपूर्ण हैं, जिन्होंने पुणे को शानदार बनाया-

    1- अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर का होना

    2- शिक्षा के प्रति ऐतिहासिक जुड़ाव

    3- शहर के नागरिकों विशेष रुझान

    4- सरकारी जागरुकता और समर्थन

    5- पुणे की शिक्षा व्यवस्था के प्रति देशभर के लोगों का विश्वास

    सफल शहरों से सीखें : बेहतर शिक्षा व्यवस्था

    शहर को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों और जिम्मेदार अफसरों ने अपनी राय दी है। शहर की शिक्षा व्यवस्था को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्हें सुधारने के सुझाव दिए गए हैं। शहर में सरकारी स्‍कूलों की शिक्षा पर लगातार सवाल उठते हैं। साथ ही ऐसा भी देखा गया है कि सरकारी संसाधन की कमी भी है जिससे अच्छी शिक्षा का लक्ष्य पूरा होने में बाधा आ रही है। शहरों में छात्र-शिक्षक अनुपात हमेशा से बड़ा सवाल रहा है। ‘माय सिटी माय प्राइड’ अभियान में यह बात सामने उभर कर आई कि निजी संस्‍थानों में शिक्षा के बारे अहम चिंता यह है कि प्राथमिक और माध्‍यमिक स्‍तर तक यह गुणवत्‍तापक रहते हैं लेकिन उच्‍च शिक्षा में यह उतने बेहतर नहीं है।

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