'पुलिस' सुधरी तो अपराध भी घटेंगे
बेहतर पुलिसिंग के लिए पूरे भारत में एक पुलिस एक्ट होना चाहिए, इसे राज्य सरकार अपने अनुसार बना रही हैं।

प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी
असल में बेहतर पुलिस व्यवस्था से जुड़ी है। महिला सुरक्षा के लिए पुलिस व्यवस्था का उद्धार करना होगा। महिला सुरक्षा के बारे में समझना है तो जस्टिस वर्मा कमेटी की रिपोर्ट देखनी चाहिए। इस रिपोर्ट के 28 पेज पुलिस के सुधार पर ही हैं। कानून तो बन गया है, लेकिन यह अब भी जमीनी नहीं है। अगर पुलिसिंग में सुधार होगा तो अपराधों पर लगाम खुद ही जाएगी।
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लोगों की सुरक्षा के लिए कानून में कोई भी कमी नहीं दिखती । बेहतर सुरक्षा के लिए कानून में लगातार सुधार हो रहे हैं। महिला सुरक्षा पर कानून बन चुका है, मासूमों के साथ दुष्कर्म पर कानून बनकर पास हो चुका है। हालाँकि आतंकवाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त ‘एंटी टेरर लॉ’ होना चाहिए। अब 'मॉब लिंचिंग' पर कानून बनने की तैयारी में है।
ऐसे में यह कहना कि लोगों की सुरक्षा के लिए कानून की कमी है तो ऐसा नहीं है। अगर कमी नजर आती है तो बस इनके पालन की। देश में जितने कानून हैं, अगर उनको ठीक तरह से लागू कर दिया जाए तो सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर हो जाएगी।
अगर कुछ चीजों पर ध्यान दिया जाये तो कानून व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर हो सकती है। पहला, पुलिस सुधार के बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन होना चाहिए । ताकि पुलिसिंग की स्थिति में सुधार किया जा सके। दूसरा, भारत में ऑर्गनाइज क्राइम एक्ट बनना चाहिए। यह अभी तक नहीं बन सका है। मनी लॉन्ड्रिंग, नकली नोट और हथियारों की तस्करी जैसे अपराधों पर लगाम ऐसे ही कानून से लगेगी।
हालांकि कुछ प्रदेशों की पुलिस ने अपने स्तर से बना रखा है। तीसरा, देश में कुछ अपराधों को फेडरल क्राइम की संज्ञा दी जाये। इसकी जांच एनआईए और सीबीआई जैसी संस्था करें। इसमें प्रदेश सरकार का दखल नहीं होना चाहिए। ड्रग ट्रैफिकिंग इसका अहम उदाहरण है। वहीं बेहतर पुलिसिंग के लिए पूरे भारत में एक पुलिस एक्ट होना चाहिए, इसे राज्य सरकार अपने अनुसार बना रही हैं।

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