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    मौलाना मदनी ने मोहन भागवत के सुझाव का किया समर्थन, कहा-काशी और मथुरा पर बातचीत के लिए तैयार

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sat, 06 Sep 2025 07:27 AM (IST)

    जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को मुस्लिम समुदायों और आरएसएस के बीच बातचीत का समर्थन किया और संवेदनशील धार्मिक मुद्दों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणियों का स्वागत किया। एक साक्षात्कार में मदनी ने कहा कि बहुत सारे किंतु-परंतु हैं। मेरे संगठन ने एक प्रस्ताव पारित किया है कि बातचीत होनी चाहिए।

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    मौलाना मदनी ने मोहन भागवत के सुझाव का किया समर्थन (फाइल फोटो)

     एएनआई, नई दिल्ली। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को मुस्लिम समुदायों और आरएसएस के बीच बातचीत का समर्थन किया और संवेदनशील धार्मिक मुद्दों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणियों का स्वागत किया।

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    हम बातचीत के सभी प्रयासों का समर्थन करेंगे- मदनी

    एक साक्षात्कार में मदनी ने कहा कि बहुत सारे किंतु-परंतु हैं। मेरे संगठन ने एक प्रस्ताव पारित किया है कि बातचीत होनी चाहिए। मतभेद हैं, लेकिन हमें उन्हें कम करने की जरूरत है। हम बातचीत के सभी प्रयासों का समर्थन करेंगे।

    हाल ही में आरएसएस प्रमुख ने मथुरा और काशी पर बयान दिया। मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने के उनके प्रयासों की प्रशंसा और सराहना की जानी चाहिए। हम सभी प्रकार की बातचीत का समर्थन करेंगे।

    काशी और मथुरा पर बातचीत के लिए तैयार- मदनी

    मथुरा-काशी विवाद पर भागवत की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए मदनी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की बातचीत को मान्यता मिलना जरूरी है। कुछ दिन पहले भागवत ने कहा था कि राम मंदिर ही एकमात्र ऐसा आंदोलन है, जिसे आरएसएस आधिकारिक तौर पर समर्थन देता है। हालांकि, सदस्यों को हिंदू होने के नाते काशी और मथुरा के आंदोलनों का समर्थन करने की अनुमति है।

    उन्होंने भारत में इस्लाम की स्थायी उपस्थिति पर जोर दिया और जनसंख्या असंतुलन के लिए धर्मांतरण और अवैध घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया था। मदनी ने हाल के वर्षों में राजनीतिक भाषा और संवाद के स्तर में आई गिरावट की भी आलोचना की।

    उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं सहित सभी राजनीतिक दल अनुचित और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की साजिश को नाकाम करने के लिए देश के नागरिक समाज को भी श्रेय दिया और कहा कि अगर यह घटना किसी और देश में हुई होती, तो बहुत अराजकता फैल जाती।

    भारत में मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के विदेशी नैरेटिव पर विश्वास नहीं करता

    मदनी ने कहा कि वह भारत में मुस्लिम समुदाय के नरसंहार को लेकर विदेशी नैरेटिव पर विश्वास नहीं करते। खासकर भारत के बाहर अक्सर यह चर्चा होती है कि मुसलमानों का नरसंहार होगा। यह बात मुझे व्यक्तिगत रूप से भी कही जाती है। लेकिन मैं इस पर विश्वास करने को तैयार नहीं हूं।

    पहलगाम में आतंकवादियों ने जो किया, उसके बाद मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बहुत कुछ किया जा सकता था। कम-से-कम कुछ अशांति तो हो सकती थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अवैध घुसपैठियों के खिलाफ चल रहे निष्कासन अभियानों का समर्थन करते हुए मदनी ने जोर देकर कहा कि किसी भी विदेशी या बांग्लादेशी नागरिक को भारत में नहीं रहना चाहिए।

    हिमंत बिस्वा सरमा की भी आलोचना की

    हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की भी आलोचना की और कहा कि वह हर मुसलमान को बांग्लादेशी बता रहे हैं। वह मुझे बांग्लादेश भेजने की बात कर रहे हैं, जो उनकी मानसिकता को दर्शाता है।

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