अतीत में मंगल ग्रह इंसानों के रहने लायक रहा होगा, एक अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला दावा
मंगल पर विज्ञानी बस्ती बसाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस बीच एक अध्ययन में मंगल ग्रह को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। इसमें बताया गया है कि मंगल का लाल रंग लौह-युक्त खनिज की उपस्थिति के कारण हो सकता है जिसके निर्माण के लिए ठंडे पानी की आवश्यकता होती है। इससे पता चलता है कि यह ग्रह अतीत में रहने योग्य रहा होगा।
पीटीआई, नई दिल्ली। मंगल पर विज्ञानी बस्ती बसाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस बीच एक अध्ययन में मंगल ग्रह को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। इसमें बताया गया है कि मंगल का लाल रंग लौह-युक्त खनिज की उपस्थिति के कारण हो सकता है, जिसके निर्माण के लिए ठंडे पानी की आवश्यकता होती है। इससे पता चलता है कि यह ग्रह अतीत में रहने योग्य रहा होगा।
नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में अध्ययन प्रकाशित
यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि लाल ग्रह पर धूल विभिन्न खनिजों का मिश्रण है, जिसमें लौह आक्साइड भी शामिल है। इनमें से एक फेरिहाइड्राइट ग्रह के रंग का कारण हो सकता है।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रमुख अध्ययनकर्ता एडम वैलेंटिनास ने कहा कि हम फेरिहाइड्राइट को मंगल ग्रह के लाल होने का कारण मानने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन अब हम अवलोकन संबंधी आंकड़ों और नवीन लैब विधियों का उपयोग कर इसका बेहतर परीक्षण कर सकते हैं।
फेरिहाइड्राइट धूल में हर जगह मौजूद
विश्लेषण के बाद हमारा मानना है कि फेरिहाइड्राइट धूल में हर जगह मौजूद है और संभवत: चट्टानों में भी मौजूद है। चूंकि फेरिहाइड्राइट ठंडे पानी की मौजूदगी में और हेमेटाइट जैसे खनिजों की तुलना में कम तापमान पर बनता है, इसलिए निष्कर्ष बताते हैं कि मंगल पर पानी को तरल अवस्था में बनाए रखने में सक्षम वातावरण हो सकता है।
ऐसा माना जाता है कि मंगल का वातावरण अरबों साल पहले गीला से शुष्क हो गया था जब सौर हवाओं ने इसके वायुमंडल को हटा दिया था। ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर था, जो इसे सौर हवाओं से बचाने में विफल रहा। अध्ययन से हमें जो पता चला है वह यह है कि साक्ष्य फेरिहाइड्राइट के निर्माण की ओर इशारा करते हैं। ऐसा होने के लिए ऐसी परिस्थितियां होनी चाहिए, जहां हवा या अन्य स्त्रोतों से आक्सीजन और पानी लोहे के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
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