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    G20 समिट से भारत को मिला खास तोहफा, ब्रिटेन से वापस आएगा मराठा छत्रपति शिवाजी का ऐतिहासिक वाघनख

    मराठा राजा छत्रपति शिवाजी से जुड़ी एक दुर्लभ कलाकृति को यूनाइटेड किंगडम से वापस भारत लाया जाएगा। इस बात की जानकारी मंत्रालय की ओर से दी गई है। इसके लिए मंत्रालय के अधिकारी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के कुछ अधिकारी 1 अक्टूबर को लंदन जाएंगे। वहां पर एमओयू पर हस्ताक्षर करनेके बाद शिवाज की वाघ नख को वापस लाया जाएगा।

    By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Sun, 10 Sep 2023 09:53 AM (IST)
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    लंदन से वापस भारत लाया जाएगा छत्रपति शिवाजी का वाघ नख

    नई दिल्ली, पीटीआई। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान कई बहेतरीन और ऐतिहासिक धरोहर ब्रिटेन पहुंची थी, जिन्हें वापस लाने की बात चल रही है। इसमें भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि मराठा राजा छत्रपति शिवाजी से जुड़ी एक दुर्लभ कलाकृति को यूनाइटेड किंगडम से वापस लाया जाएगा।

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    मंत्रालय ने किया पोस्ट

    शनिवार को सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में, मंत्रालय ने कहा, "हमारी कीमती कलाकृतियों की वापसी भारत के कूटनीतिक प्रयासों की एक बड़ी जीत है।" मंत्रालय ने अपने पोस्ट में कहा, "हमारी गौरवशाली विरासत लौट आई। इतिहास को बनते हुए देखने के लिए तैयार हो जाइए, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध 'वाघ नख' अपनी विजयी वापसी के लिए पूरी तरह तैयार है।"

    मंत्रालय ने 'भारत ने अपने इतिहास को दोबारा हासिल किया' टैगलाइन वाला एक पोस्टर भी शेयर किया। पोस्टर में बताया गया है कि 'वाघ नख' का इस्तेमाल अफजल खान को हराने के लिए किया गया था।

    1 अक्टूबर को होगा लंदन का दौरा

    जानकारी के मुताबिक, 1 अक्टूबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और अन्य अधिकारी लंदन जाएंगे और वाघ नख को भारत वापस लाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे। फिलहाल, इसे ब्रिटेन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया है।

    9 साल में वापस आईं 200 से अधिक कलाकृतियां

    केंद्र सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, पिछले 9 सालों में विभिन्न देशों से लगभग 240 प्राचीन कलाकृतियां वापस भारत लाई गई हैं। इसके साथ ही, 72 ऐसी कलाकृतियां है, जिन्हें उनके देश को वापस सौंपा जाएगा। वापस लाई गई सैकड़ों कलाकृतियों में नटराज की करीब 1100 साल पुरानी मूर्ति और नालंदा के म्यूजियम से करीब छह दशक पहले गायब हुई बुद्ध की 12वीं सदी की कांस्य प्रतिमा शामिल हैं। 

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