Move to Jagran APP

लाल खत: नक्सलियों ने जारी की ये हिट लिस्ट

छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं पर हुए नक्सली हमले के बाद अब नक्सलियों ने सुकमा कलेक्टर के नाम एक पत्र जारी कर सलवा जुडूम के नेताओं को मारने की धमकी दी है। वहीं, खुफिया एजेंसी से मिली जानकारी के मुताबिक, कई बड़े शहर भी नक्सलियों के निशाने पर हैं, जहां वह हमले कर सकते हैं। इस बीच, यह भी पता चला है कि नक्सली हमले में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था।

By Edited By: Published: Fri, 31 May 2013 12:20 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2013 03:04 PM (IST)

रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं पर हुए हमले के बाद अब नक्सलियों ने सुकमा जिले के बीस सलवा जुडूम के नेताओं को भी जान से मारने की धमकी दी है। वहीं, खुफिया एजेंसी से मिली जानकारी के मुताबिक, कई बड़े शहर भी नक्सलियों के निशाने पर हैं, जहां वह हमले कर सकते हैं। इस बीच, यह भी पता चला है कि नक्सली हमले में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था।

loksabha election banner

-पढ़ें-: नक्सलियों ने हमले से पहले क्या तैयारी की

-पढ़ें-:क्या राजनीतिक साजिश है नक्सली हमला।

जानकारी के मुताबिक, सुकमा के कलेक्टर को डाक से एक पत्र मिला है। पत्र भेजने वाले ने खुद को माओवादी होने का दावा किया है। पत्र में लिखा गया है कि सलवा जुडूम के सदस्यों और पुलिस के मददगारों को दरभा जैसा ही जवाब दिया जाएगा। पत्र लाल स्याही से लिखा गया है।

नक्सलियों ने जिला प्रशासन को भेजे पत्र में कहा है कि राज्य और केंद्र सरकार को दरभा घाटी में जवाब मिल गया होगा। सुकमा जिले के सलवा जुडूम और पुलिस के मददगारों को ऐसी सजा देंगे।

उन्होंने पत्र में रावभवन कुशवाह, सोयम मुकका, पदान नंदा, बोटू रमा, पी विजय, कोरसा सन्नू, राजेंद्र वर्मा, जोगा बलवंत, आयमा मांझी, रामेश्वर तापड़िया, मनोज यादव, विनोद तिवारी, उमेश सिंह, दीपक चौहान, अली खान और प्रमोद राठौर के नाम लिखे हैं।

पत्र में नक्सलियों ने बस्तर से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को हटाने, ऑपरेशन ग्रीन हंट बंद करने, विकास और परिवर्तन यात्रा बंद करने, एडसमेटा फर्जी मुठभेड़ में शामिल पुलिस जवानों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने और जेल में बंद नक्सलियों को रिहा करने की मांग की है।

इस बीच, सुकमा कलेक्टर पी दयानंद ने पत्र मिलने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार को भी अवगत करवा दिया गया है।

गौरतलब है कि आदिवासी कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा ने सबसे पहले 1991 में नक्सलियों के विरुद्ध 'जन जागरण अभियान' चलाया था, जो कि सफल नहीं हो सका था। कर्मा ने 2005 में नक्सली हिंसा के विरुद्ध छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से स्थानीय लोगों को संगठित कर सलवा जुडूम आंदोलन शुरू किया।

इस आंदोलन में वे आदिवासी शामिल हुए, जो नक्सली हिंसा का शिकार हुए थे। हालांकि सलवा जूडूम पर भी मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे। नक्सलियों से लड़ने के लिए आमजनों को हथियार दिए जाने पर सवाल भी उठे। सलवा जुडूम और नक्सली संघर्ष में करीब डेढ़ लाख लोग पलायन कर गए। आंदोलन में युवाओं समेत स्थानीय लोगों की संलिप्तता देखते हुए इसे पक्ष-विपक्ष दोनों का समर्थन मिला।

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी आलोचना की और राज्य सरकार को अन्य विकल्पों पर विचार करने को कहा। जुलाई, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम को गैरकानूनी घोषित करते हुए कहा कि लोगों को दिए गए हथियार वापस लिए जाएं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.