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    तीन राज्यों के 5 जिले अब माओवादी हिंसा से मुक्त, गोंदिया में 20 लाख के इनामी 3 नक्सलियों ने किया सरेंडर

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 10:30 PM (IST)

    छत्तीसगढ़ के तीन राज्यों के 5 जिले अब माओवादी हिंसा से मुक्त हो गए हैं। गोंदिया में 20 लाख के इनामी तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे क्षेत्र ...और पढ़ें

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    तीन राज्यों के पांच जिले अब माओवादी हिंसा से मुक्त। (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन के शेष तीन माओवादी कैडर रोशन, सुभाष और रतन ने शनिवार को महाराष्ट्र के गोंदिया में आत्मसमर्पण कर दिया। इन पर 20 लाख रुपये का इनाम था। इसके साथ ही इस क्षेत्र में अब कोई माओवादी नहीं बचा है। छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भूभाग अब पूरी तरह माओवादी हिंसा से मुक्त हो गया है।

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    एमएमसी जोन के तीन राज्यों के पांच जिलों से लाल आतंक का खात्मा हो गया है। इनमें छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (केसीजी) कवर्धा, महाराष्ट्र का गोंदिया और मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला शामिल है। राजनांदगांव रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक शांडिल्य ने भी इसकी पुष्टि की। जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा हो सकती है।

    एमएमसी जोन के दरेकसा एरिया कमेटी के कमांडर और दो माओवादी कैडर ने गोंदिया में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में समर्पण किया है। इनमें दरेकसा एरिया कमेटी का कमांडर आठ लाख का इनामी रोशन उर्फ मारा इरिया वेदजा (35) शामिल है।

    वह बीजापुर के मेंदरी गांव का निवासी है। बीजापुर के सुभाष उर्फ पोज्जा बंडू राववा (26) और नारायणपुर के रतन उर्फ मनकू ओमा पोय्याम (25) ने भी हथियार डाले। दोनों पर छह-छह लाख रुपये का इनाम था।

    इन्होंने एक एसएलआर और एक 8 एमएम हथियार भी सुरक्षाबलों को सौंपे। पिछले 15 दिनों में 35 कैडर का समर्पणराजनांदगांव रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक शांडिल्य ने कहा कि राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कवर्धा जिले माओवादी हिंसा से मुक्त हो चुके हैं। सरहद पर भी कोई सक्रिय माओवादी नहीं बचा है।

    अंतिम समय सीमा से सवा तीन महीने पहले ही इस जोन से माओवाद का पूरी तरह खात्मा हो चुका है। यहां सिर्फ चार माओवादी शेष थे। इनमें से तीन ने सरेंडर कर दिया, जबकि एक माओवादी रंजीत इस इलाके को छोड़कर जा चुका है।

    पिछले 15 दिनों में 35 माओवादियों ने पुनर्वास चुना और मुख्यधारा में लौट आए। यह इलाका तीन दशक से माओवाद के चंगुल में फंसा रहा। शीर्ष माओवादी कैडर के मारे जाने और समर्पण के बाद परिस्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं।

    तीन बड़े आत्मसमर्पण

    1. 28 नवंबर को गोंदिया में एमएमसी जोन प्रवक्ता विकास नागपुरे ने 10 साथियों संग समर्पण किया।
    2. सात दिसंबर को बालाघाट में सुरेंद्र उर्फ कबीर व जोनल मेंबर राकेश ने नौ साथियों सहित हथियार छोड़े।
    3. आठ दिसंबर को 1.05 करोड़ के इनामी सीसी मेंबर रामधेर ने पत्नी सहित 12 माओवादियों का समर्पण किया।